वच के आयुर्वेदिक गुण

वच एक गुणकारी और बहुत ही उपयोगी जड़ी बूटी है , जो नम और तरी वाली जमीन में सालभर पैदा होने वाले एक छोटे से पौधे की जड़ होती है| यह दो प्रकार की होती है – बाल वच और घोड़ा वच | औषधि के रूप में घोड़ा वच का ही प्रयोग किया जाता है |
दिमागी ताकत स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ाने वाली होने के कारण इसका सेवन विद्यार्थियों और दिमागी काम करने वालों के लिए बहुत लाभदायक है|
यह तेज गंध वाली ,कड़वी , गरम ,विरेचक ,अफरा, शोध ,कफ, वातज्वर पेट की गर्मी और शूल को दूर करने वाली तथा वाकशक्ति बढ़ाने वाली है| इसे वच के नाम से भी जाना जाता है |
वच के घरेलू उपाय :
मुंहासे :
सरसों, लोध्र व सेंधा नमक मिलाकर पानी के साथ पीसकर चेहरे पर लेप लगाकर कुछ देर बाद रगड़ कर छुड़ा दे | इसे चेहरे से किल मुंहासे मिटते हैं|
दिमागी ताकत :
4 ग्राम सौंठ का चूर्ण खा कर ऊपर से दूध पीने से दिमाग को शक्ति मिलती है|
स्मरण शक्ति :
आधा चम्मच रोज बच का चूर्ण घी में मिलाकर सुबह और रात को सोते समय चाट कर उसके ऊपर मीठा दूध पीने से स्मरण शक्ति तेज होती है|
पेट के कृमि :
आधा ग्राम भुनी हुई हींग और 3 ग्राम बच का चूर्ण एक कप पानी के साथ तीन -चार दिन लेने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं|
सिर दर्द :
बच की जड़ को पानी में घिसकर लेप बना ले |लेप को माथे पर लगाने से सिर दर्द बंद हो जाता है|
आधासिसी :
बच और पीपल का बारीक चूर्ण संमभाग लेकर इसका नस्य लेने से आधासीसी दूर हो जाता है|
अफारा :
बच को जलाकर बारीक पीस ले| अब इस चूर्ण को नारियल या अरंडी के तेल में मिलाकर लेप बना ले| गढ़ा-गढ़ा लेप शिशु के पेट पर लगाने से बच्चे को शीघ्र आराम आ जाएगा|
खांसी :
माँ के दूध में बच को घिसकर आधा चम्मच दिन में तीन चार बार पिलाने से बच्चों की खांसी और ज्वर में लाभ होता है|
सुखी खासी :
25 ग्राम वच को मोटा कूटकर एक गिलास पानी में डालकर खूब अच्छी तरह उबाले| अच्छी तरह के बाद उतारकर छान लें| इसे दिन में तीन -चार बार दो चम्मच की मात्रा लेने से सुखी खासी ,अफरा और पेट दर्द में लाभ होता है|