टाइफाइड ज्वर का इलाज

शरीर के सामान्य तापमान के बढ़ने की अवस्था को टाइफाइड ज्वर कहते है। एक सामान्य व्यक्ति के शरीर का तापमान  36.9 ’C से 37.4’C होता है। अगर शरीर का तापमान सामान्य तापमान से बढ़ता है तो उसे ज्वर केहते है। ज्वर कोई रोग नहीं है। यह संक्रामक रोग जैसे मलेरिया, टाइफाइड ज्वर आदि का प्रतीक है।

टाइफाइड ज्वर का इलाज

टाइफाइड ज्वर
टाइफाइड ज्वर

टाइफाइड ज्वर होने के कारण:

ज्वर की उत्पत्ति का कारण त्रिदोष अर्थात वात, पित्त तथा  कफ की विकृति है।

टाइफाइड ज्वर का इलाज:

वात दोष से उत्पन्न ज्वर का इलाज:

वात  दोष से उत्पन्न ज्वर मे कस्तुरी भैरव रस 125 मि. ग्रा. पान के स्वरस के साथ दिन मे दो बार लेने से लाभ मिलता है। इसके अलावा मृत्युंजय रस, लक्ष्मी विलास रस, ज्वरघनी वटि, सौभाग्य वटी भी गुणकारी है।

कफ दोष से उत्पन्न ज्वर का इलाज:

कफ दोष से उत्पन्न ज्वर में बार बार खासी आने से अधिक पीड़ा होती है। छोटी आयु के बच्चो को कफ के कारण अधिक परेशानी होती है। कफ केतु रस 250 मिलीग्राम अदरक के रस या शहद के साथ मिलाकर चटाने से लाभ मिलता है।

कस्तूरी भैरव रस 125 मिलीग्राम पान के रस के साथ तथा ज्वरंकुश रस या त्रिभुवन कीर्ति रस अथवा मृत्युंजय रस 125 मिलीग्राम तुलसी के पत्तों के रस के साथ दिन में दो बार देने से लाभ मिलता है। लक्ष्मीविलास रस 250 मिलीग्राम शहद या अदरक के रस में मिलाकर देने से जल्दी लाभ मिलता है।

पित्त  दोष से उत्पन्न ज्वर का इलाज:

पित्तदोष से उत्पन्न ज्वर में चंद्रकला रस 125 मिलीग्राम पटोल पत्र के स्वरस में या शहद के साथ देने से जल्दी लाभ होता है। गोदंती भस्म की 1 ग्राम मात्रा शहद मिलाकर दिन में दो बार चटाने से बहुत आराम मिलता है।

वात दोष से उत्पन्न ज्वर का इलाज:

वात दोष ज्वर में वैद्यनाथ वटी की गोलियां दिन में तीन बार गिलोय के स्वरस के साथ देने पर आराम मिलता है। मृत्युंजय रस और गोदंती भस्म बराबर मात्रा में मिलाकर शहद या तुलसी के पत्तों के रस के साथ सेवन करने से जल्दी लाभ होता है गुलकंद  के साथ कामदुधारस खाने से भी लाभ होता है।

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