टी.बी. /टीबी/TB का घरेलु इलाज के बारेमे आज हम आपको बताने जा रहे है. इस जानकारी से आप टीबी से बच सकते हो.
टीबी का घरेलू इलाज
एक समय में यह बडा भयानक रोग माना जाता था |
इसका रोगी जीवन की आशा ही छोड देता था , तब यह नाइलाज रोग माना जाता था |
संकृत में इसका नाम क्षय ,युनानी चिकित्सा में इसे ‘टी .बी .’कहते है |
इस बिमारी के साथ अनेक अन्य रोग भी साथ लग जाते है | इसलीएं इसे ‘ राजरोग ‘भी कहा जाता है |
टीबी के लक्षण :
टी .बी . यानी टयूबरक्लोसीस बैसिलिस (tuberculosis bacillus) नाम का किटाणू ,जो बडा ही खतरनाक होता है |
जानते है क्या हिया टीबी बीमारी के लक्षण हिंदी में.
- इस रोग में शरीर दिनोदिन क्षय होता जाता है ,अर्थात रोगी तेजी से कमजोर हो जाता है |
- उसका वजन घटने लगता है | भूक प्यासी जाती रहती है |
- थोडा कुछ करने पर ही थकावट महसूस होती है |
- यह फेकडो ,त्वचा ,जाडो ,गले रीढ की हड्डी आंतडीया तथा हड्डी शरीर के लगबग सबी अंगो पर आक्रमान करनी की ताकत रखता है |
- तीन सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी हो तो टी .बी.हो सकती है |
- टी.बी .का रोगी निरंतर खांसता रहता है |
- पुराना होने पर मुह से खून भी आने लगता है |
- पाचन-क्रिया बिगड जाती है और वजन गिरने लगता है
- सिरदर्द और बुखार भी बना रहता है |
- बहुत से रोगियो की हडडीया गलने लगती है |
- नाडी असमान कभी तेज तो कभी मंद गति से चलती है |
- बदबूदार बलगम निकलता रहता है |
- चेहरे की चमक मलिन हो जाती है ,शरीर पर मांस नही रह जाता है |
- भोजन में स्वाद नही आता | रोगी उदास रहता है ,उसकी आवाज क्षीण हो जाती है |
- तापमान बढा रहता है तथा पाखाना बहुत गंदा होता है |
- सुबह शाम खांसी का दौर तेज हो जाता है तथा खांसते समय छाती में पिडा होती है |
- टी.बी.का रोगी चिडचिडा तथा तेज आवाज सहन नही करता |कभी कभी निंद में बाते करता है |
- कभी कभी उल्टी ,सुबह पेशीच की शिकायत रहती है | जीभ लाल रहती है |
- रोगी को निंद नही आती |चलते और सोते समय रोगी का मुह खुला रहता है |
टीबी में सावधानिया :
रोगी तप्तरता से निम्म सावधानियाँ बरते –
- टीबी के रोगी के लिए साफ -सफाई की जरुरत होती है |
- रोगी के कपडे रोजाना गरम पानी में धोएं |
- क्षय के रोगी खुले में न थुके ,इसके किटाणु दूसरो को अपना शिकार बना सकते है |
- खांसी को नियंत्रण में रखने के लिए गीलोय ,तुलसी ,काली मिर्च तथा इलायची का काढा सुबह शाम दे
- रोगी को पूरा विश्राम दें तथा दवाए नियमित रूप से खीलाये |
- रोगी को वायुदार कमरे में रखें ,जहा सीलन तथा शोर-शराबा न हो |
- टीबी में क्या खाना चाहिये और टीबी की बीमारी में क्या खाना चाहिए के बारेमे सावधानिया लेनी जरुरी है.
टीबी का घरेलु इलाज :
आजकल टी.बी. भयानक रोग नही रह गया है | इसका सफल इलाज संभव है |
- छह माह का कोर्स करने पर रोगी पूर्णता स्वस्थ हो जाता है |
- छाती का एक्स -रें तथा खून की जाच अवश्य कराये |
- इलाज के दौरान ठंडी तथा गरिष्ट चीजे न खाए |
- देर तक न जागे ,भरपूर निंद ले ,इलाज के दौरन भी भारी काम न करे |
- खाने में ताजा साब्जीया तथा कुछ पौष्टिक आहार ले ,जिससे स्वास्थ जल्दी ठीक होता है |
- दवा का क्रम बीच में टूटने न दे ,लगबग छह माह तक निरंतर दवा खाएं |
- सुबह ताजा हवा में अवश्य घूमना चाहिए |
टाइफाइड का आयुर्वेदिक उपचार लक्षण.