सोंठ के गुण

सोंठ मतलब सुख हुआ अदरक होता है। गिली सोंठ तथा सुखा अदरक सोंठ कहलाता है। सोंठ का उपयोग औषधि के रूप में अधिक किया जाता है। यह पाचक, आमा वातनाशक, रुदय रोग, जुखाम, उदर रोग एवं वात विकार को नष्ट करता है।
सोंठ के उपचारार्थ प्रयोग:
नेत्र पीड़ा:
सोंठ और गेरू को पानी में पीसकर आंखों के बाहर लेप करने से आंखों का दर्द कम होता है।
जुकाम:
1तोला कुटी हुई सोंठ उबलते पानी में डालकर रख दें जब पानी थोड़ा ठंडा हो जाए तो रात को पीकर सो जाए। 1 सप्ताह तक यह प्रयोग करने से जुकाम में शीघ्र लाभ होता है।
कान का दर्द:
अदरक के रस में शहद तथा जरा सा नमक मिलाकर हल्का गर्म करके दिन में तीन चार बार दो बूंद कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
दमा:
सोंठ व हरड़ का चूर्ण बनाकर पानी के साथ लेने से दमा व खांसी की बीमारी में लाभ होता है।
आधासीसी:
आधासीसी का दर्द होने पर चांद को पानी में घिसकर माथे पर लेप करें। इससे आधासीसी में आराम मिलेगा।
आंव :
पाव भर दूध में आधा चम्मच सोंठ डालकर उबालें। ठंडा करके सोते समय तीन-चार दिन पीने से आंव समाप्त हो जाती है।
कमर दर्द:
सोंठ को कूटकर दो कप पानी में उबालें। आधा कप पानी शेष रहने पर ठंडा कर दो चम्मच एरंडी का तेल मिलाकर सोते समय पीने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
हिचकी:
सोंठ व छोटी हरड़ पानी में घिसकर एक चम्मच गाढ़ा लेप एक कप गुनगुने पानी में घोलकर पीने से हिचकी आना रुक जाता है।
वंध्या रोग:
सोंठ, पीपल, काली मिर्च, नागकेसर 10-10 ग्राम पीसकर छान ले। दिन में दो बार देसी घी के साथ सेवन करने से बांझपण को भी गर्भ ठहर जाता है। यह प्रयोग कम से कम 6 माह तक करे।
आमवात:
सोंठ व गिलोय समभाग कूटकर दो कप पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तब ठंडा कर पीले। प्रतिदिन भोजन के 1 घंटे बाद लाभ होने तक सेवन करें।