शोल्डर में दर्द के लिए घरेलू नुस्खे

नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज का हमारा विषय है शोल्डर में दर्द के लिए घरेलू नुस्खे, जिंदगी में हर इंसान कभी ना कभी किसी प्रकार के शारीरिक दर्द और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना करता ही है। बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों की ऐंठन और मांसपेशियों में कमजोरी जैसे तकलीफों से हमें जूझना ही पड़ता है। ३५ से ४० उम्र के बाद हमारे शरीर की बोन डेंसिटी कम होने लगती हैं; जिस कारण हमारी हड्डियां भी कमजोर होने लगती हैं। कई बार जिंदगी में किसी एक्सीडेंट का सामना करना पड़े, तो उसकी वजह से भी हमारी हड्डियों पर काफी बुरा असर पड़ता है। 

इसी के साथ, लोगों के खानपान की पद्धति और जीवन शैली में काफी बदलाव आ चुका है; जिस कारण हमारे शरीर को उचित रूप से पोषण नहीं मिलता है और हमारी हड्डियां तथा मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। लैपटॉप, टीवी, मोबाइल जैसे उपकरणों पर अधिक समय बिताने वाले लोगों को अक्सर जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है। शोल्डर में दर्द होना इन्हीं समस्याओं में से एक मानी जाती हैं। हमारा कंधा बॉल एंड सॉकेट के रूप में एक तरह का जोड़ है; जिसमें मुख्य तौर पर तीन प्रकार की हड्डियां होती हैं; ह्यूमेरस, स्कैपुला और क्लेविकल। यह तीनों तरह की हड्डियां मिलकर कंधे का जोड़ बनाती है। 

कंधे का दर्द किसी भी लिगामेंट, टेंडन या मांसपेशियों में हो सकता है। कंधे में हो रहे इस दर्द की वजह से हम कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाते हैं। इसीलिए, कंधे में हो रहे दर्द को लेकर हमें सजग होना चाहिए। तो दोस्तों, आज जानने के लिए शोल्डर में हो रहे दर्द का कारण, लक्षण शोल्डर में दर्द के लिए घरेलू नुस्खे

शोल्डर के दर्द के कारण

मांसपेशियों की कमजोरी से लेकर फ्रैक्चर तक, शोल्डर में हो रहे दर्द के ऐसे कई दूसरे अन्य कारण हो सकते हैं।

१) फ्रैक्चर-

शरीर के अन्य अंगों के साथ-साथ, शोल्डर में भी फ्रैक्चर की समस्या देखी जा सकती है। फ्रैक्चर मुख्यतः कॉलर बोन या शोल्डर ब्लेड की हड्डी में देखा जा सकता है। वैसे तो, फ्रैक्चर किसी भी उम्र में आ सकता है। लेकिन, जिन लोगों को ओस्टियो पोरोसिस है और जिन लोगों की उम्र ५० से अधिक है; ऐसे लोगों को ध्यान देने की अधिक जरूरत होती है।

२) डिसलोकेशन-

कई बार खेलते समय, एक्सीडेंट या गिरने की वजह से कंधे की हड्डी अपने सॉकेट से बाहर निकल जाती है। इसे “डिसलोकेशन” कहते हैं और इसी के कारण कंधों में दर्द हो सकता है। कंधों में दर्द के साथ-साथ; सूजन, अस्थिरता, कमजोरी और मांसपेशियों की ऐंठन भी देखी जा सकती है। इस प्रकार के डिसलोकेशन की वजह से कंधे में दर्द होता है।

३) फ्रोजन शोल्डर-

आमतौर पर ५० से ६० आयु वर्ग के लोगों के बीच यह समस्या देखे जाते हैं। फ्रोजन शोल्डर की इस स्थिति में शोल्डर में दर्द के साथ-साथ, जकड़न भी महसूस होने लगती हैं। इस स्थिति के चलते कंधे और बाहे हिलाना भी मुश्किल हो जाता है। फ्रोजन शोल्डर को आप कंधों में दर्द का मुख्य कारण मान सकते हैं।

४) आर्थराइटिस-

जोड़ों के दर्द की सबसे बड़ी समस्या अर्थराइटिस में देखी जा सकती है। कार्टिलेज एक ऐसा टिशू होता है; जो हमारे जोड़ों की लंबी हड्डियों की रक्षा करता है। अर्थराइटिस में इस कार्टिलेज की डेंसिटी कम होती जाती हैं और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसी कारण, हम कंधा तथा बाहें भी खिला नहीं सकते हैं। कंधों में दर्द के साथ-साथ, सूजन तथा जकड़न भी महसूस होने लगती हैं। अर्थराइटिस के चलते कंधों में दर्द एवं सूजन देखने को मिलती है।

शोल्डर में दर्द के लक्षण-

शोल्डर में दर्द होने के कारण शरीर में कई अनचाहे बदलाव होते हैं और उसके लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि, आपके शोल्डर का यह दर्द आपके शोल्डर के टीश्यूज और सेल्स के लिए घातक हो सकता हैं।

१) कोई भी काम करते वक्त कंधे में दर्द होना। कंधे के साथ-साथ बाहों में भी दर्द होना।

२) किसी वस्तु को उठाते समय कंधों में जकड़न महसूस होना।

३) शोल्डर का दर्द लंबे समय तक रहना।

४) बाजुएं हिलाते समय अचानक से अधिक दर्द होना।

५) हाथ लगाने पर झनझनाहट महसूस होना।

शोल्डर में दर्द के लिए घरेलू नुस्खे

कंधे में दर्द होने पर सबसे पहले आप घर पर ही इलाज शुरू कर सकते हैं।

१) मालिश-

कंधे में दर्द होने पर तिल या सरसों के तेल का इस्तेमाल करके आप कंधों की हल्के हाथों से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए तिल या सरसों के तेल को थोड़ा सा गर्म करना है और दिन में दो बार आप कंधों की हल्के हाथों से मालिश कर सकते हैं। सरसों के तेल में और तिल के तेल में दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं; जो कंधों के दर्द को आराम दिला सकते हैं। इसी के साथ, कंधों में हो रही जकड़न और मांसपेशियों की ऐंठन को भी कम किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे, मालिक हमेशा हल्के हाथों से ही करनी चाहिए; बहुत ज्यादा दबाव डालने पर कंधों का दर्द बढ़ सकता है।

२) हल्दी-

हल्दी एक हीलिंग एजेंट की तरह काम करती हैं। कंधों के दर्द की समस्या से निपटने के लिए दो चम्मच हल्दी में एक चम्मच नारियल का तेल मिलाकर अच्छे से पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट की अपने कंधे की मांसपेशियों पर हल्के हाथों से मालिश करें और इसे थोड़ी देर के लिए लगा रहने दें। सूखने के बाद इसको गर्म पानी से धो डालें। ऐसा आप दिन में दो बार कर सकते हैं। इसी के साथ, एक गिलास गर्म दूध में हल्दी और शहद मिलाकर पीने से भी मांसपेशियों को अंदर से आराम मिलता है और इम्यूनिटी बढ़ने में भी मदद मिलती है।

३) अदरक-

अदरक में दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं। जिस कारण कंधे में हो रहे दर्द के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जा सकता है। अदरक से बने काढे का सेवन करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है। वहीं दूसरी ओर, रोजाना बनी चाय में अदरक का इस्तेमाल करके उस चाय को पीने से भी आपकी मांसपेशियों को काफी हद तक राहत मिलती है।

४) सेंधा नमक-

कंधे में हो रहे दर्द तथा जकड़न को दूर करने के लिए सेंधा नमक पानी में डालकर उस पानी को प्रभावित क्षेत्र पर डालने से काफी हद तक राहत मिलती हैं। सेंधा नमक का इस तरह से प्रयोग करने पर मांसपेशियों की ऐंठन तथा जकड़न कम होने में मदद मिलती है।

शोल्डर में दर्द का निदान-

कई बार कंधे में हो रहा दर्द बहुत तेज होता है और घरेलू उपचारों से भी नहीं जाता है; तो आप डॉक्टर से उचित सलाह लें सकते हैं। ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जाकर आप अपनी शिकायत उन्हें बता सकते हैं। डॉक्टर शोल्डर के दर्द की गंभीरता जानने के लिए उसका सबसे पहले निदान करेंगे। निदान करने के लिए एम आर आई, अल्ट्रासाउंड इमेजिंग या एक्स रेे जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह से शोल्डर का निदान करने से दर्द की गंभीरता समझ में आ जाती हैं; जिससे डॉक्टर को आगे की ट्रीटमेंट देने में आसानी होती है।

शोल्डर में दर्द का इलाज-

एक बार कंधे में हो रहे दर्द का निदान हो जाए और पता चल जाए कि दर्द किस वजह से हो रहा है; तो डॉक्टर आगे की ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं। सबसे पहले तो डॉक्टर आपको दर्द निवारक दवाइयां और फिजियोथेरेपी की कुछ एक्सरसाइज करने का सुझाव देते हैं। वहीं दूसरी ओर, डॉक्टर आपको तेज शारीरिक गतिविधियों से बचने के लिए भी कहते हैं; जिससे शोल्डर का दर्द कम होने में मदद मिलती है।

 कई बार स्थिति की गंभीरता को देखकर डॉक्टर प्रभावित हिस्से पर कोर्टिसन नामक इंजेक्शन भी लगाते हैं; जिससे दर्द, सूजन तथा मांसपेशियों की जकड़न में तुरंत फर्क दिखाई देता है। अधिकतर, डॉक्टर कंधे में हो रहे दर्द या किसी भी अन्य जोड़ों के दर्द के लिए फिजियोथेरेपी का ही सुझाव देते हुए दिखते हैं। क्योंकि, फिजियोथैरेपी में निर्देशित एक्सरसाइज करने पर मांसपेशियों की ऐंठन और जकड़न पर यह पद्धति काफी हद तक प्रभावी होती है। 

इसी के साथ, फिजियोथेरेपी में बताए गए एक्सरसाइज करने के लिए मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ता है और कंधों के गतिविधि को भी बढ़ाया जा सकता है। लेकिन, कई बार फिजियोथेरेपी और मेडिसिन के उपयोग के बाद भी कंधे का दर्द नहीं जाता है; तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं। लेकिन, यह स्थिति काफी कम कैसेस में देखने को मिलती हैं। लेकिन, ध्यान रहे कभी भी आपको कंधों में दर्द हो रहा हो और वह घरेलू नुस्खों से ना जा रहा हो; तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है। 

दोस्तों, कंधों में हो रहे दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि, इससे कंधों के टिशूज और सेल्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है और यह दर्द अधिक बढ़ सकता है। दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर इसका इलाज करना जरूरी हो जाता है।

दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का शोल्डर में दर्द के लिए घरेलू नुस्खे यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।

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