सालमपंजा के फायदे हिंदी में

सालमपंजा गुणकारी बलवीर्य वर्धक, पौष्टिक और नपुंसकता नष्ट करने वाली जड़ी -बूटी है | इसका कंद उपयोग में लिया जाता है | यह बल बढ़ाने वाली ,भारी, शीतवीर्य ,वात पित्त का शमन करने वाली, वात नाड़ियो को शक्ति देने वाली ,शुक्रवर्धक व पाचक है |

अधिक दिनों तक समुद्री यात्रा करने वालों को होने वाले रक्त विकार , कफजन्य रोग ,रक्तपित्त आदि रोगों को दूर करती है | इसकी पैदावार पश्चिमी हिमालय और तिब्बत में 8 से 12 हजार फीट ऊंचाइयों पर होती है |

सालमपंजा के घरेलू उपाय :सालमपंजा के फायदे

यौन दुर्बलता :

सौ ग्राम सालमपंजा , 200 ग्राम बादाम की गिरी को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें| 10 ग्राम चूर्ण मीठे दूध के साथ सुबह खाली पेट तथा रात को सोते समय सेवन करने से दुबलापन दूर होता है वह यौन शक्ति में वृद्धि होती है|

शुक्रमेह :

सालमपंजा सफेद मूसली व काली मूसली 100-100 ग्राम बारीक पीस ले| प्रतिदिन आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लेने से शुक्रमेह ,शीघ्रपतन  ,स्वप्नदोष आदि रोगों में लाभ होता है |

जीर्ण अतिसार :

सालम पंजा का चूर्ण एक चम्मच दिन में 3 बार  छाछ के सेवन करने से पुराना अतिसार की खो जाता है | तथा आमवात व पेचिस में भी लाभ होता है|

प्रदर रोग :

सालमपंजा ,शतावरी, सफेद मुसली को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें| एक चम्मच चूर्ण मीठे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पुराना श्वेत रोग और इससे होने वाला कमर दर्द दूर हो जाता है |

वात प्रकोप :

सालमपंजा व पिप्पली को बारीक पीसकर आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बकरी के मीठे दूध के साथ सेवन करने से व श्वास का प्रकोप शांत होता है |

धातुपुष्टता :

सालम पंजा, विदारीकंद, अश्वगंधा , सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा 50 50 ग्राम लेकर बारीक पीस ले| सुबह -शाम एक  चम्मच चूर्ण मीठे दूध के साथ लेने से धातु पुष्टि होती है तथा स्वप्नदोष होना बंदों होता है |

प्रसव के बाद दुर्बलता :

सालम पंजा व पीपल को पीसकर आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम मीठे दूध के साथ सेवन करने से प्रसव के बाद प्रस्तुत आपकी शारीरिक दुर्बलता दूर होती है|

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