आज हम आपको पोलियो की जानकारी हिंदी में देने वाले है, जिसमे आप पोलियो के बारे में जानकारी और पोलियो का उपाय क्या है ? जानेंगे|
बच्चो में पोलियो विश्वव्यापी बिमारी है | यह बिमारी एक वायरस के द्वारा फैलती है , जो बच्चो को अपना शिकार बनती है यह वायरस भोजन और पानी से फैलता है | जब व्यक्ती अशुध्द भोजन या जल का सेवन करता है तो मुँह के द्वारा यह वायरस उसके शरीर में प्रवेश करता है और पेट में ज्यादा संख्या में हो जाता है |
फिर यह वायरस रक्त धामनियो के मध्यम से रीढ की हडडी में प्रवेश कर जाता है , तब शरीर को नियंत्रित करने वाले नाडीयो को विकृत कर देती है और बच्चे हमेशा के लिये अपंग हो जाते है |
पोलियो क्या होता है ?

पोलियो को पोलियोमेलाइटीस के नाम से भी जाना जाता है, पोलियो एक गंभीर और संभावित घातक संक्रामक रोग है | पोलियो होने पर हमारे शरीर में सारी गतिविधियां पूरी तरह से बिगड़ जाती है |
जिन लोगों को पोलियो होता है उन लोगों से यह वायरस दूसरे लोगों तक आसानी से फैलता है, इसलिए पोलियो होने पर खुद का ख्याल रखना काफी ज्यादा जरूरी होता है | जिस व्यक्ति को पोलियो होता है उस व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर हानि पहुंचती है जिससे इंसान के शरीर की सारी गतिविधियां सामान्य रूप से नहीं काम करती है |
हमारे देश में पोलियो का अंतिम मामला १३ जनवरी २०११ को पश्चिम बंगाल और गुजरात में रिपोर्ट किया गया था | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने २७ मार्च २०१४ को भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया था | पोलियो की जानकारी जानकर, आप इस रोग से खुद का संरक्षण कर सकते हो |
पोलियो के प्रकार:

आज हम आपको पोलियो की जानकारी हिंदी में जानिए -पोलीयो दो प्रकार की होते है –
- रिढ का पोलियो फेकडो को प्रभावित करता है और बच्चे को शारीरिक रूप से अपंग कर देता है यह ठीक होने छह दिन से छह महिने तक का समय लेता है |
- बलकर (कंदीय) पोलियो का प्रभाव दिमाग पर पडता है | यह गला तथा जीभ को अशक्त कर देता है |
इसे ठीक होने में छह साल का समय लगता है | कई केस में इसके कारण मौत भी हो जाती है |
पोलियो होने के लक्षण क्या है ?
- इंसान को जब हल्के फ्लू जैसा महसूस होता है तब पोलियो हो चुका है ऐसा समझ लेना चाहिए क्योंकि हल्का फ्लू होने पर हमारे शरीर में हमेशा अस्वस्थता रहती है और कोई भी काम करते समय हमारे शरीर में ताकत नहीं होती है |
- पोलियो होने पर लंबे समय तक बुखार रहता है, कई बार बुखार रहने के साथ-साथ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से कम हो जाती है |
- जिन लोगों को लंबे समय से पोलियो है उन लोगों को सर दर्द, उल्टी, थकान, जैसा हमेशा महसूस होते रहता है | अगर आपको लगातार उल्टी हो रही है और सर दर्द भी हो रहा है तो यह पोलियो का बड़ा लक्षण होता है |
- पोलियो होने पर पेट में, गर्दन में, बाहों में, पैरों में, हमेशा दर्द होते रहता है क्योंकि फ्लू होने पर हमारे पूरे शरीर की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है |
पोलियो से बचने के उपाय :

हमेशा पोलियो से बचने के उपाय के लिये स्वच्छता रखना बेहद जरुरी है पोलियो की जानकारी हिंदी में-
- बच्चो को हमेशा गंदी या धरती पर बार-बार गिरी चीज खाने से रोंके |
- अपने घर के आस-पास ,जहा बच्चे खेलते है तथा घर के अंदर आँगन ,कमरे के फर्श को साफ सुधरा रखें
- बच्चो को खिलोने मुँह में न डालने दे |ध्यान न देते पर कई बार बच्चे मुँह से निकली टॅाफी फल का टुकडा या केला उठाकर मुँह में रख लेते है | इससे भी पोलियो का वायरस बच्चे में प्रवेश कर सकता है |
समाधान: बच्चे के स्वास्थ्य संबंधी हर छोटी सी बात पर भी गौर करे ,उसे नजर अंदाज न करे –
- बच्चे को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराएँ , क्योकी की मां के दूध में पोलियो से बचाने वाले तत्त्व है ,जो उसे पोलियो की पकड से बचाते है | यह ध्यान रहे की आठ महिने से पहले बच्चे को पोलियो प्रायः नही होता है | इसका कारण यही है की उसके अंदर मां के दूध द्वारा प्राप्त रोग प्रीतीरोधक शक्ती मात्रा में होती है |
- बच्चे को किसी प्रकार के दुसरे के इंजेक्शन आदि न लगवाएँ , बल्की दवाईयो से भी दूर रखें |
- सरकार की और से देश को पोलियो मुक्त करने के लिएं ‘ पल्स पोलियो अभियान ‘ चालाया जा राहा है | ‘ दो बूँद जिंदगी की ‘ नाम से द्वा रविवार को मुफ्त पिलाई जाती है | अपने बच्चे को अवश्य पिलवाये | यह माता-पिता का प्रथम कर्तव्य है |
पोलियो विभिन्न नसो एव पेशियो को हानि पहुचाता है | जो पेशिया मृतप्राय हो जाती है ,वे बिलकुल ठीक नही हो पाती ,इस कारण वह अंग बिलकुल क्रियाहीन हो जाता है |
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छोटे बच्चों को पोलियो होने से कैसे बचाएं ?

- आमतौर पर देखा जाए तो पोलियो प्राथमिक रूप से मौखिक मार्ग के माध्यम से हमारे शरीर में फैलता है इसलिए हमारे जिस अंग पर अपर्याप्त स्वच्छता होती है उस अंग की स्वच्छता करना काफी ज्यादा जरूरी है |
- पोलियो द्वारा छोटे बच्चों का रक्षण करने के लिए मां बाप ने अपने बच्चों को बचपन में ही टीकाकरण द्वारा पोलियो से बचाना चाहिए | हर बच्चे को पोलियो होता ही है ऐसा नहीं होता है लेकिन बचपन में अगर हम बच्चे को टीकाकरण करवाते हैं तो बच्चों को पोलियो होने की संभावना नहीं होती है |
- पोलियो वैक्सीन बच्चे को बाल अवस्था में ही मिलना चाहिए, बच्चा अगर बड़ा हो जाता है, तो बच्चे को टीकाकरण करके कोई फायदा नहीं है |
- बच्चों के शरीर की सारी गतिविधियां ठीक तरह से हो रही है या नहीं यह थोड़े थोड़े वक्त के बाद जानना चाहिए जिससे आपको आसानी से समझ में आएगा कि आपके बच्चों को पोलियो हुआ है या नहीं |
पल्स पोलियो का टीका कब दिया जाता है ?

- आमतौर पर देखा जाए तो पल्स पोलियो का टीका बच्चे को बचपन में ही दिया जाता है, कई बार मां-बाप अनपढ़ होने के कारण बचपन में बच्चे को पोलियो टीका नहीं दे पाते हैं जिसके कारण बच्चे को पोलियो होने की संभावना होती है |
- १ से २ साल के बच्चे को पोलियो टीकाकरण करने से बच्चे के शरीर में जो भी संक्रमित जोखिम होती है वह बिल्कुल कम हो जाती है क्योंकि पोलियो का प्रकोप हमारे शरीर में कभी भी फैल सकता है |
- बचपन में ही पोलियो की टीका देने से बच्चे के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिसके कारण पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारी होने की संभावना भी कम हो जाती है |
बच्चों को पोलियो का डोस देना क्यों जरूरी है ?

- बचपन में ही बच्चों को पोलियो का डोस देना काफी ज्यादा जरूरी है, बच्चों को अगर पोलियो डोस नहीं दिया जाता है तो इससे बच्चे के स्थाई रूप से मांसपेशियों को लकवा ग्रस्त विकलांगता आने की संभावना होती है |
- हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता होती है जो किसी भी बीमारी को भगाने में सक्षम होती है, लेकिन जब किसी इंसान को पोलियो होता है तब उस इंसान के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है | जिसके कारण पोलियो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगता है |
- जिन लोगों को ऐसा लगता है कि हम दवाइयों का सेवन करके ही पोलियो भगायेंगे उन लोगों ने दवाइयों का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है |
- बच्चे को बचपन में ही पोलियो डोस देने से बच्चे की संतान भी स्वस्थ रहेगी इसलिए बच्चों को पोलियो डोस देना काफी ज्यादा जरूरी है |