आज का हमारा विषय है पित्त के बारे में | दोस्तों पित्त की बीमारी यह आज लोगों में काफी दिखाई देती है | जो कि बहुत ही दर्द भरी और भयानक होती है और उससे इंसानों को त्वचा के कई सारे रोगों का सामना करना पड़ता है | तो आज हम इसी के सिलसिले में आपको जानकारी देने वाले हैं कि पित्त क्या होता है ?
पित्त यह हमारे पेट में खराबी होने के कारण होता है जिसका असर सीधा हमारे बॉडी पर और त्वचा पर होता है | तो चलिए आगे की जानकारी में हम आपको बता देते हैं कि पित्त क्या है और कैसे होता है ?
पित्त क्या और यह कैसे होता है ? What is Bile in hindi ?
पित्त हमारे शरीर के आमाशय में रहता है जो सुनहरा कलर का होता है | पित्त को गैस्ट्रिक एसिड भी कहते हैं, वह हमने खाया हुआ खाना पचाने में मदद करता है और इसे एक प्रकार से जहर भी कहते हैं, क्योंकि वह बहुत ही खतरनाक होता है |
पित्त बहुत कड़वा होता है, पाचन क्रिया में पित्त का कार्य महत्वपूर्ण होता है | यह आंतों को कार्य को करने में मजबूती प्रदान करता है | इस शरीर के अन्य पाठकों को उद्दीप्त करता है, और इसकी कार्यक्षमता को बढ़ा देता है |
पित्त यह खाए हुए अन्ना को सड़ने से भी रोकता है, अगर पित्त किसी कारण कोई खराबी आ गई, तो वह खाए हुए अन्य को अच्छे से पचाता नहीं है और गैस उत्पन्न करने लगता है और ऐसे में पेट में गैस पैदा हो जाता है और गैस का और पित्त का रोग हो जाता है |
अगर आपने भोजन किया है और वह अच्छी तरह पाचन नहीं हुआ है और आपने उसके बाद तुरंत भोजन कर लिया तो वह पिता का कारण बन जाता है | या फिर ज्यादातर मानसिक तनाव में रहने से भी पित्त का रोग होता है |
पित्त की बीमारी का रामबाण इलाज कैसे करें ? Pitt ka Gharelu ilaj:
- पित्त के रूप में पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम आठ से 10 गिलास पानी पीना चाहिए एक गिलास पानी में नींबू का रस निचोड़ कर उसमें थोड़ी-सी चीनी तथा एक चुटकी नमक डाल कर पीने से बहुत लाभ होता है | यह पानी दिन में कम से कम 8 से 10 बार पीना चाहिए |
- पित्त के रोग से पीड़ित रोगी को ठंडे दूध में चीनी डालकर पीना चाहिए इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा ताजी तथा जल्दी पचने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए, जैसे कि उबले हुए चावल और फलों का जूस |
- पित्त की बीमारी से पीड़ित रोगी को हमेशा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए तथा हंसते रहना चाहिए |
- पित्त रोगी को भोजन में गर्म पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, बल्कि ठंडे पदार्थों को भोजन में ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए |
- इस बीमारी से पीड़ित रोगी को रात को सोने से 2 घंटे पहले भोजन करना चाहिए और भोजन के बाद ठंडा दूध पीना आवश्यक होता है |
पित्त की पतंजलि दवा: Pitt ke liye patanjali Dawa:
कई सारे लोगों को केमिकल युक्त दवाइयां लेने से एलर्जी होती है और उनका पित्त अधिक बढ़ जाता है | तो ऐसे लोगों के लिए पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा के बारे में हम आपको जानकारी देने वाले हैं, जिसको लेने से आपको आपके पित्त से राहत मिल जाएगी और उसका किसी भी प्रकार से साइड इफेक्ट आपके शरीर पर नहीं होंगे | तो चलिए जान लेंगे कौन सी पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा है जो पित्त के लिए असरदार साबित होगी |
आरोग्यवर्धिनी वटी : Patanjali Arogya Vardhini Vati:
आरोग्यवर्धिनी वटी यह एक अधिक प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है, जो आपको शक्ति प्रदान करती है, आपकी ऊर्जा को बढ़ाती है, और आपकी रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाती है। यह प्राकृतिक और हर्बल अर्क का एक मिश्रण है, जिसमें मल्टीविटामिन गुण और पोषक तत्व होते जो बीमारियों को ठीक करने में मदद करते हैं |
आपकी रोग प्रतिकार शक्ति को फिर से पाने में मदद करते हैं और आपके सामान्य स्वास्थ्य का पोषण करते हैं, यह पूरी तरह से प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीके से निर्माण कि गई है और इसका इस्तमाल करने से किसी भी प्रकार के साइड नहीं होते है।
एक अच्छा स्वास्थ्यपूर्ण जीवन प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन करें। इस गुणकारी आयुर्वेदिक दवा से अपने शरीर और दिमाग को एक्टिव रख सकते हैं |
पतंजलि आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन पित्त की बीमारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार ही करना है | पतंजलि आरोग्यवर्धिनी वटी में बहेड़ा, कुटकी, नीम के पत्ते का रस, हरण, आमला, सुधा मरक्यूरी, लोहा भस्मा, सुधा गूगल, चित्रक मूल, ताम्र भस्मा, सुधा गंधक, अभ्रक भस्मा इत्यादि प्रकार के आयुर्वेदिक पदार्थों को मिक्स करके बनाया जाता है |
पित्त के लिए योग : Pitt ke liye Yoga:
इस बीमारी को कंट्रोल में करने के लिए सिर्फ दवाईया ही इस्तेमाल नहीं होती है, इसके लिए आपको एक्सरसाइज और योग प्राणायाम की भी बहुत अधिक मात्रा में जरूरत होती है जिससे शरीर के हार्मोन बैलेंस होते हैं और शरीर में होने वाली अन्य प्रक्रियाओं को भी नियंत्रित करने में योग का बहुत बड़ा कार्य होता है |
इसीलिए योग करना इंसान के शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है | तो इसी प्रकार से हम आपको आज पित्त के लिए योग बताने वाले हैं |
शीतली योग : Shitali Yog:
शीतलक योगा को शीतली योग भी कहा जाता है | जिसे मुंह से सांस लेकर किया जाता है और यह जो शरीर की गर्मी को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है और इसी से इंसान के शरीर का पित्त भी कंट्रोल में रहता है | इसीलिए यह योगा बहुत ही फायदेमंद साबित होता है |
इस योगा को करने के लिए आपको सुखासन में बैठ जाना है और आपकी जुबान बाहर निकालकर उसे दोनों ओर से फोल्ड कर दे और मुंह से अंदर की ओर सांस खींचें |
२ से ३ सेकण्ड सास को शरीर में रहने दें और उसके बाद उसे नाक के जरिए बाहर निकाले | ऐसा आपको 5:00 या 10 मिनट तक लगातार करते रहना है |
आप इस शीतली योग का विडियो को देखकर भी जानकारी प्राप्त कर सकते है |
इससे आपके शरीर में और आपके मुंह में और गले में बहुत ही ठंडक पहुंचेगी और उसी से आपका शरीर की गर्मी कंट्रोल में रहती है और कभी भी पित्त जैसी बीमारी नहीं होती है | इसीलिए यह योगा बहुत फायदेमंद साबित होता है |
तो दोस्तों यह थी पित्त की बीमारी का घरेलु इलाज करने की जानकारी | हमें आशा है इस जानकारी से आपको जरुर मदत मिलेगी |