पेठा कद्दू के गुण हिंदी में

भारत में सर्वत्र उप्लब्ल्ध पेठा मुलतः सब्जी है परंतु मिठाई के रूप में इसका प्रयोग अधिक किया जाता है | पेठा मस्तिष्क के लिए बलवर्द्धक है | वैसे यह केवल दिमाग के लिए ही नही अपितु अनेक रोगों में लाभदायक है |
पका हुआ पेठा सर्वदोषहर माना गया है | इसका फल , बिज तथा बिज का तेल सभी उपयोग है | इसमें प्रोटीन , शर्करा , क्षार , तथा बीजो में तेल होता है |इसके फल की १०-२० ग्राम , बिज चूर्ण की ३-६ ग्राम तथा तेल की ५-१० मी.ग्रा मात्रा औषधि रूप में प्रयोग की जाती है |
पेठे का रस मधुर , गुण सामान्य एव मधुर , वीर्य , शीत है | पका पेठा झारिय होता है | वात-पित्त शामक होने से इसका प्रयोग वात- पित्त विकारों में तथा मस्तिष्क के लिए बलदायक होने से उन्माद आदि मनोविकारों में व मस्तिष्क दुर्बलता में किया जाता है | इसके प्रयोग से पुराना बुखार जाता है | इसके बिज कृमिनाशक होते है |इसके सेवन से खाँसी , ज्वर तथा दाह शांत होते है |यह सामन्य दुबलता , कृशता तथा ह्रदय के लिए टॉनिक का काम करता है |
घरेलू उपाय :
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मूत्ररोग :
इसका गूदा एव बीज रुक- रूककर मूत्र आने , द र्द के साथ मूत्र आने तथा पथरी में उपयोग है |
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सिरदर्द :
सभी प्रकार के सिरदर्द में इसके बीजों का तेल सिर में लगाने से लाभ होता है |
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आग से जलना :
आग से जलने के स्थान पर इसके गूदे के साथ पत्तो के रस का लेप करने से जलन शांत होती है |
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जलन :
शरीर के अंगो में जलन होने पर इसके गूदे का लेप करने से लाभ होता है |
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नकसीर :
पेठे की मिठाई को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाने के बाद पानी पीने से कुछ दिनों के प्रयोग से नाक से खून बहना बंद हो जाता है | दिमाग को शांति मिलती है और गर्मी दूर होती है |
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गर्भपात :
पेठा खाने से बार -बार होने वाले गर्भपात से बचा जा सकता है |
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तपेदिक :
पेठे का उपयोग तपेदिक में करने से फेकड़ो तथा सारे शरीर को बल मिलता है |
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शुक्रदौर्बल्य :
पेठा सेवन करने से शुक्राणु की कमी में लाभ होता है |