मूंग दाल के फायदे

यह सब दालों में हलकी व सुपाच्य होती है | भारत में मूंग की पैदावर सभी जगह होती है | मूंग भारत से ही यह अन्य देशो में पहुची | इसे साबुत और दाल दोनों ही रूपों में खाया जाता है | मूंग की पकी हुई दाल सरलता से पचने वाली होती है |इसे खाने से मल साफ़ आता है |
मूंग दाल का प्रयोग दाल के अलावा चिले ,पकौड़े ,हलवा ,नमकीन आदि में किया जाता है |मूंग की ताजा फलियों को काटकर सब्जी बनाई जाती है | मूंग के लडडू पौष्टिक और स्वास्थवर्द्धक होते है | बीमार व्यक्तियों के लिए मूंग की दाल और चावल की खिचड़ी हल्की और पौष्टिक रहती है |
छिलके वाली मूंग दाल को पचना थोडा मुश्किल होता है परंतु बिना छिलके वाली दाल आसानी से पच जाती है|
मूंग दाल के लाभ :
कब्ज :
चावल और छिलके वाली मूंगकी दाल १:२ के अनुपात में लेकर पतली खिचड़ी बनाकर , हल्का सा नमक डालकर खाने से कब्ज दूर होता है |
अतिसार :
मूंगको भुनकर इसमें चावल की खिल डालकर काढ़ा बना ले | इस काढ़े में शहद या चीनी मिलाकर सेवन करने से दस्त में लाभ होता है |
ज्वर :
ज्वर से मूंगकी दाल का सेवन करना लाभकारी रहता है |
स्तनों में दूध जमना :
साबुत मूंग तथा साठी के चावल पानी को छींटे देकर पीस ले | इस लेप को स्तनों पर लगाने से दूध का जमाव दूर होकर आसानी से दूध निकल जाता है |
उल्टी :
मूंग की दाल का काढ़ा बनाकर , छानकर , पिप्पली का थोडा-सा चूर्ण मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है |
प्रमेह :
मूंग की धुली दाल को गाय के घी में भुनकर बाद में गाय के दूध खीर बनाकर ४० दिन तक यह खीर खाने से हर प्रकार का प्रमेह रोग ठीक हो जाता है |
दाद-खाज :
छिलके वाली दाल को पानी में भिगोकर पीस ले| पीसी हुई दाल को दाद-खाज पर लगाने से लाभ होता है |
सुंदरता :
मूंग दाल का आटा पानी में घोलकर त्वचा पर मलने से जलन दूर होती है व त्वचा साफ़ होती है | चेहरे पर मलने से किल मुंहासे दूर होकर निखार आता है|