मिट्टी के उपयोग

मिट्टी के उपयोग में आज हम जानेंगे मिटटी के गुण | वर्तमान में प्रचलित विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में मिट्टी चिकित्सा भी प्रमुख रूप में प्रचलित है |
प्राचीन काल से ही मिट्टी का चिकित्सा के रूप में प्रयोग होता रहा है ,जिसका विस्तृत वर्णन आयुर्वेद में उपलब्ध है |प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली में मिट्टी को हरेक रोग की रामबाण दवा माना गया है |मिट्टी वात -पित्त -कफ विकारों को दूर करने वाली घाव , प्रदर रोग , मुत्र रोग , सूजन , रक्तविकार , उदर विकार में लाभकारी है |
मिट्टी के उपयोग :
सूजन :
शरीर में चोट लग जाने पर सूजन आ जाए तो गीली मिट्टी का लेप लगाने से सूजन कम हो जाती है |
फोड़ा :
शरीर के किसी भी भाग में घाव या फोड़ा हो जाने पर पिली मिटटी की पट्टी बांधने से लाभ होता है |
कोढ़ :
कोढ़ में गीली मिट्टी का लेप लगाने से लाभकारी होता है |
नकसीर :
नाक से खून आने पर गीली मिट्टी सूंघने वह उसका लेप लगाने से खून बहना बंद हो जाता है |
रंग निखार :
मुल्तानी मिट्टी में मलाई वह कुछ बूंद नींबू का रस मिलाकर शरीर पर उबटन लगाने से रंग साफ होता है तथा त्वचा चिकनी मुलायम हो जाती है|
घमौरियां :
गर्मियों में घमोरियां हो जाने पर मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाने से दो-तीन दिन में ही घमोरियां मिट जाती है |
बालों के रोग :
मुल्तानी मिट्टी से सिर धोने से रूसी व बाल झड़ना बंद होकर घने व चमकदार हो जाते हैं |
आग से जलना :
तुरंत गीली मिट्टी का लेप लगाने से फफोले नहीं पड़ते तथा जलन शीघ्र शांत हो जाती है |
बेचैनी :
घबराहट ,तनाव ,जोड़ों का दर्द .दिमाग की गर्मी या नींद नहीं आने पर मिट्टी का स्नान या प्रभावित अंग पर मिट्टी गीली मिट्टी का लेप लगाने से लाभ होता है |
मुहासे :
मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाने से त्वचा मुंहासे रहित हो जाते हैं |
ज्वर :
सिर या पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी बांधने से ज्वर उतर जाता है |
कनफेड़ :
मिट्टी का गले पर लेप लगाने से लाभ होता है |
हिचकी :
गेरू को आग में भूनकर 1 ग्राम की मात्रा 10 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकी रुक जाती है |
मुंह के छाले :
गोपीचंद मिट्टी घिसकर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं |
सिर दर्द :
सिर दर्द होने पर गले या गर्दन में मिटटी की पुल्टिस बांधने से लाभ होता है |
सफेद दाग :
नियमित रूप से मिटटी की पुल्टिस का प्रयोग करने से सफ़ेद दाग दूर होते है |