कलौंजी के गुण

कलौंजी, सौफ जाती के पौधे का ही बीज है। इसमें भी सौफ के समान ही गुण पाए जाते हैं। कलौंजी के दाने काले रंग के होते हैं। इन्हें अचार मी मसाले के रुप में डाला जाता है। कलौजी में वायु विकार को नष्ट करने का गुण होता है। कलौंजी वीर्यवर्धक और बल कारक होता है। यह वायु को नष्ट करती है। गर्भाशय को शुद्ध करती है। तथा अतिसार को नष्ट करती है। इसमें मेदे की शक्ति देने, अफारा दूर करने, आंतों के कीड़ों को मारने का विशेष गुण होता है।
कलौंजी के गुण उपचारार्थ प्रयोग:
हिचकी:
3 ग्राम कलौंजी का चूर्ण 1 ग्राम मक्खन में मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है।
जुकाम:
कलौंजी को भूनकर सुंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।
उदर रोग:
कलौंजी को रात भर सिरके में भिगोकर दूसरे दिन छाया में सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण में शहद मिलाकर कांच की शीशी में भर दे। प्रतिदिन सुबह शाम एक चम्मच की मात्रा में खाने से अफारा, वायु विकार तथा मसाने के रोग दूर होते हैं, इससे गठिया रोग , फुलबहरी तथा लवके में भी लाभ होता है।
दाद- मुंहासे:
कलौंजी को सिरके के साथ पीसकर लेप करने से मुहासे तथा दाद ठीक हो जाते हैं तथा लगातार लगाने से कुछ दिनों में चेहरा साफ हो जाता है।
गठिया तथा दर्द:
कलौंजी अजवायन और मेथी के चूर्ण की एक चुटकी मात्रा सुबह गुनगुने पानी के साथ लेने से गठिया, कमर दर्द और शरीर दर्द में आराम मिलता है।
चर्मरोग:
कलौंजी और सिरके के मिश्रण को शरीर पर मलने से चर्म रोग में लाभ होता है।
पीलिया:
कलौंजी के बीज पीसकर दूध में मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है।
दमा:
आधा चम्मच कलौंजी पीसकर पानी के साथ पीने से दमा रोग में लाभ होता है।
बदहजमी:
कलौंजी का सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है तथा बदहजमी दूर होती है।
पेट के कीड़े:
कलौंजी को पीसकर सिरके में मिलाकर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।