काली मिर्च के औषधीय गुण

सारी दुनिया में काली मिर्च का उपयोग हजारो साल से किया जा रहा है | कालीमिर्च के प्रयोग से भोजन की किसी भी अप्रिय गंध को खत्म किया जा सकता है | कालीमिर्च की पत्तिया अंडकार व बड़ी होती है, सिरा नुकीला व किनारे चिकने होते है |
कालीमिर्च पर फल गुच्छे के रूप में लगते है , पकने पर इनका रंग लाल हो जाता है | सुखाने पर कच्ची कालीमिर्च का छिलका सिकुड़कर काला पड जाता है | औषधि के रूप में इसका व्यापक प्रयोग होता है|
काली मिर्च के औषधीय गुण :
खाँसी :
2-3 कालीमिर्च जरा से नमक व स्याव जीरे के साथ मुंह में रखकर चूसने से खाँसी में राहत मिलती है|
सीने की जलन :
1 चम्मच पीसी कालीमिर्च, निम्बू-पानी में घोलकर पीने से खट्टी डकारे तथा सीने की जलन में राहत मिलती है|
बुखार :
पौना चम्मच काली मिर्च और 2 चम्मच शक्कर पानी म घोलकर पीने से बुखार उतर जाता है|
दिमागी कमजोरी :
एक चुटकी पीसी कालीमिर्च ,शहद में मिलाकर सुबह-शाम चटने से दिमाग कमजोरी दूर होती है|
गला बैठना:
15-20 कालीमिर्च चबाकर ऊपर से कुनकुना पानी पीने से सर्दी के कारण बैठा हुआ गला खुल जाता है|
दंत रोग :
कालीमिर्च व नमक मिलाकर मंजन करने से मसुडो की सूजन सांस की दुर्गंध, पायरिया, दांत दर्द, कीड़ा लगना, दांत से ठंडा-गरम लगना आदि में लाभ होता है|
बवासीर :
कालीमिर्च व कालानमक सुबह दही में मिलाकर खाने से बवासीर का दर्द दूर हो जाता है|
नेत्र ज्योति वर्धक :
पिसी हुई कालीमिर्च व शक्कर ,घी मिलाकर खाने से आंखों की कमजोरी दूर होती हैं तथा स्मरणशक्ति होती है|
सूजन :
5 कालीमिर्च जरा से मक्खन में मिलाकर बच्चों को चाटने से सूजन दूर होती है|
फुंसिया :
काली मिर्च को गर्म पानी में घिसकर छोटी-छोटी फुंसियों पर लगाने से फुंसियां ठीक हो जाती है|
जुखाम :
दही में शक्कर वह काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से जुखाम ठीक हो जाता है|
मांसपेशियां का दर्द :
तिल के तेल में पिसी काली मिर्च को गर्म करके मांसपेशियों पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है|