कबाबचीनी (शीतलचीनी)

कबाबचीनी को शीतलचीनी भी कहते हैं क्योंकि इसे जीभ पर रखने पर ठंडक महसूस होते हैं| यह काली मिर्च जैसी एक छोटा सा ठंडल लगी होती है| यह काली मिर्च जैसी एक छोटा सा डंठल लगी होती है|
इसे एक अच्छी अवस्था में तोड़कर सुखा लेते हैं| इसे चूसने से मुंह सुगंधित हो जाता है| यह पंसारी या जड़ी बूटी बेचने वाली दुकान पर मिल जाती है| इसका उपयोग सुगंधित मसालों के लिए और औषधि के रूप में किया जाता है| उबटन में इसका उपयोग सुगंध के लिए किया जाता है|
कबाबचीनी के घरेलू उपाय :
नपुंसकता :
कबाबचीनी , शतावरी , गोखरू , बीजबंद ,वंशलोचन ,चोपचीनी , कौंच के बीज , सौंठ ,पिप्पली ,सफेद मूसली ,सालमपंजा ,विदारीकंद ,काली मूसली व असंगध 10-10 ग्राम निशोथ 16 ग्राम , मिश्री 200 ग्राम सबको पीसकर बारीक चूर्ण बना लें| सुबह शाम एक चम्मच 2-3 माह दूध के साथ सेवन करने से यौनशक्ति मैं वृद्धि होती है |
पुराना सुजाक :
100 ग्राम कबाब चीनी व 100 ग्राम सोडा बाई कार्ब मिलाकर सुबह शाम एक चम्मच चूर्ण दूध और पानी की लस्सी के साथ सेवन करें| सोडा बाई कार्ब न होने पर उसकी जगह 50 ग्राम फिटकरी पिसकर मिलाएं| एक कप उबलते पानी में एक चम्मच कबाबचीनी का चूर्ण मिलाकर ढंग दे| 15-20 मिनट बाद छानकर ठंडा करके 5 बूंद चंदन का तेल व आधा चम्मच मिश्री डालकर पीने से मूत्र खुलकर होता है और वेदना मिटती है|
मुद्रा विरोध :
कबाबचीनी का चूर्ण आधा चम्मच सुबह शाम पानी के साथ लेने से मूत्र खुलकर आता है |
बवासीर :
कबाबचीनी का आधा चम्मच सुबह शाम एक कप दूध के साथ सेवन करने से बवासीर में शीघ्र लाभ होता है |
स्वप्नदोष :
कबाबचीनी ,छोटी इलायची ,वंशलोचन , पिप्पली 10- 10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें तथा उसमें 40 ग्राम मिश्री मिलाकर आधा चम्मच सुबह शाम एक को मीठे दूध के साथ लेने से स्वप्नदोष होना बंद हो जाता है तथा वीर्य गाढा हो जाता है |
पुरानी खांसी :
1 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से एक कफ सरलता से निकल जाता है और खांसी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है |
मुखपाक :
मुंह के छाले , दुर्गंध , जीभ पर पीली परत जमना , मुंह का स्वाद खराब होना आदि में 2 दाने कबाब चीनी दिन में 3-4 बार मुंह में रखकर चूसे |
स्वरभंग :
गला बैठ जाने पर कबाब चीनी , वच और कुलिंजंन 15-50 ग्राम कूटकर पान के रस में घोटकर 2-2 रत्ती की गोलियां बना कर सुखा लें दिन में तीन चार बार एक गोली मुंह में रखकर चूसे | ठंडी चीज व खटाई का परहेज करें |
जुखाम :
इसके चूर्ण को दिन में तीन चार बार सूंघने में जुखाम में लाभ होता है |
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