ज्योतिष्मती का तेल मालकांगनी फूल के गुण

इसे मालकांगनी भी कहते हैं| अनेक रोगों को दूर करने वाली यह लड़का समाप्त भारत में 3-4 हजार फीट की ऊंचाई पर होती है| इसकी झुकी हुई शाखाओं पर सफेद बिंदु होते हैं| इसके फल मटर के समान ,पीले तथा 3 खंड वाले होते हैं | स्मृति और बुद्धि तीव्र करने वाले रसायन के रूप में ज्योतिष्मती का विशिष्ट स्थान है| इसके बीज और मालकांगनी का तेल उपयोग में लिए जाते हैं | यह कड़वी , दस्तावर कफ और वायुनाशक वमनकारक , तीक्ष्ण, अग्नि वर्धक होती है|
ज्योतिष्मती का घरेलू उपाय :
सफेद दाग :
50 मिली मालकांगनी तेल 50 मिली . बावची का तेल एक शीशी में मिलाकर दिन में दो तीन बार सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है|
अनिद्रा :
मालकांगनी के बीज ,शंखपुष्पी ,जटामासी और सर्पगंधा 25 -25 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम , सबको पीसकर एक चूर्ण सोने के सोने से पहले गर्म दूध के साथ लेने से नींद अच्छी आती है| यह योग उच्च रक्तचाप को भी सामान्य करता है|
दमा :
20 -20 ग्राम मालकांगनी के बीज वह छोटी इलायची के दाने लेकर बारीक पीस ले | इसकी 2- 2 रत्ती मात्रा सुबह शाम शहद मिलाकर चाटने से लाभ होगा |
सिरदर्द :
ज्योतिष्मती व बदाम का तेल 25- 25 मिली. मिलाकर हर रोज खाली पेट एक बताशे में 2 बूंद तेल टपकाकर बताशा खाकर ऊपर से मिश्री मिलाकर दूध जाए | एक महीने तक सेवन करने से पुराना सिर दर्द दूर हो जाता है |
दाद :
20 ग्राम ज्योतिष्मती के बीज ,10 ग्राम कालीमिर्च को पीसकर नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं|
अफीम छुड़ाना:
दो चम्मच ज्योतिष्मती के पत्तों का रस दिन में तीन बार आधा कप पानी में डालकर पीने से कुछ ही दनों में अफीम से अरुचि हो जाती है| ताजा पत्ते नहीं मिलने पर सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर इसी का प्रयोग सेवन करें|
खूनी बवासीर:
इसके बीजों को पानी में पीसकर गुदा के मस्सों पर लेप करने से मस्सों से रक्त गिरना बंद हो जाता है|
स्वास्थ्य रक्षक :
इसके बीच , वच, शुद्ध गंधक 50 50 ग्राम लेकर चूर्ण बना ले| सुबह शाम दो रत्ती चूर्ण ताजा मक्खन में मिलाकर एक माह सेवन करने से शरीर पुष्ट और संस्थान बलवान बनता है|
उदर रोग :
इसके बीज कातेल को प्रयोग दूध में मिलाकर प्रयोग करने से पेट साफ होकर कब्ज से छुटकारा मिलता है |
कब्ज :
इसके बीज व तेल का प्रयोग दूध में मिलाकर करने से दस्त होकर पेट के रोगों से छुटकारा मिलती है |