जीरा के गुण फायदे

जीरा को इंग्लिश में cumin seeds कहते है | जीरा दो प्रकार के होते हैं -काला और सफेद जीरा के गुण कई सारे है | काला जीरा कृमिनाशक , पाचक ,स्तनों में दूध बढ़ाने वाला , अग्निदीपक , उदरशूल ,अतिसार अपच व जीर्ण ज्वर में लाभदायक होता है | यह महिलाओं के लिए विशेष लाभकारी होता है | गर्मियों में जीरा अमृतमय है |
जीरा के गुण घरेलू उपाय :
खूनी बवासीर :
काला जीरा पानी में पीसकर लुगदी बना ले | लुगदी को गुदा पर बांधने तथा मिश्री व काला जीरा संमभाग लेकर आधा चम्मच सुबह शाम पानी से लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है |
पाचन शक्ति :
नींबू के रस में जीरा भिगोकर सुखा लें |उसमें सौंठ तथा काला नमक मिलाकर प्रतिदिन भोजन के बाद सेवन करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है |
मकड़ी का विष :
सफेद जीरा व सौंठ पानी के साथ पीसकर लेप लगाने से मकड़ी का विष का प्रभाव खत्म हो जाता है |
शरीर की गर्मी :
जीरा व मिश्री थोड़ी देर मुंह में रखकर कुछ देर बाद चबाकर खाए |दो-तीन दिन तक दिन में तीन बार इस प्रक्रिया को करने से शरीर की गर्मी तथा मुंह के छाले पड़ जाते हैं |
प्रदर रोग :
5 ग्राम जीरे का चूर्ण वह 5 ग्राम मिश्री चावल के धोवन में मिलाकर 21 दिन तक लेने पेशियों में प्रदर रोग दूर हो जाता है |
खांसी :
1 ग्राम जीरे का चूर्ण 1 ग्राम सौंठ शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से खांसी रुक जाती है |
दर्द व सूजन :
शरीर के किसी भी अंग में दर्द या सूजन होने पर 2 चम्मच जीरा एक गिलास पानी में गर्म करके सेंक करने से आराम मिलता है |
जलन :
पेट में या शरीर में जलन रहते हो तो जीरे को पीसकर छाछ के साथ सेवन करने से आराम मिलता है |
मुंह की दुर्गंध:
भोजन के बाद जीरा व मिश्री समभाग लेकर चबाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है |
उदर विकार :
भुना जीरा ,काला नमक तथा सूखा पुदीना समभाग में मिलाकर पीने से पेट के विकारों में लाभ होता है |
होंठ पकना :
होंठ पकने पर जीरा पीसकर लेप लगाने से आराम मिलता है |
लू लगना :
भुना जीरा व सेंधा नमक छाछ में मिलाकर पीने से लू का असर समाप्त हो जाता है |
पेट दर्द :
जीरा पीसकर उसमें शहद मिलाकर चाटने से पेट दर्द व अफरा दूर हो जाता है |
नाक में फुंसी :
जीरे का धुआं सूंघने से लाभ मिलता है |
जी मचलाना :
नींबू के रस में सफेद जीरा भिगोकर व सेंधा नमक मिलाकर सुखा ले | जी मचलाने पर 10-12 दाने में रखकर चूसने पर आराम मिलता है |