हरी मिर्च लाल मिर्च के गुण

मिर्च की दो प्रजातियां मुख्य रूप से पाई जाती है| काली मिर्च और हरी मिर्च| मिर्च पक जाने पर पौधे पर ही लाल हो जाती है तथा सुख आने पर उसका रंग और भी लाल हो जाता है| यही मिर्च पीसकर साग-सब्जियों में तीखापन लाने के लिए डाली जाती है| लाल मिर्च सस्ती और सुलभ होती है|
औषधि के रूप में ज्यादातर हरी मिर्च का प्रयोग किया जाता है परंतु कभी कभी आवश्यकता के अनुसार लाल मिर्च का भी प्रयोग किया जाता है| मिर्च का स्वाद चटपटा और गुण दाहकारक है| जलन उत्पन्न करने के लिए जहां भी इसकी आवश्यकता होती है वहां प्रयोग कर लिया जाता है| मिर्च ज्यादा मात्रा में सेवन अम्ल पित्त का कारण बन जाता है|
हरी मिर्च लाल मिर्च के उपचार :
कुत्ते का काटा:
यदि किसी को कुत्ता काट ले तो कटे हुए स्थान पर सरसों का तेल लगाकर पीसी लाल मिर्च बांध दें| इससे रोगी सुरक्षित हो जाता है| यदि कुत्ता पागल हो तब भी यह उपाय लाभकारी होता है|
हैजा:
लाल मिर्च के डंठल व बिज निकालकर शेष भाग को पीसकर छान लें| इस चूर्ण को शहद के साथ घोटकर दो-दो ग्राम की गोलिया बनाकर छाया में सूखा ले| एक गोली बिना पानी के निगलवाने से रोगी को लाभ होता है|
बिच्छू का डंक:
लाल मिर्च को पानी के साथ पीसकर बिच्छू के डंक मारे हुए अंग पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है|
कान का दर्द:
7 साबुत लाल मिर्च को एक छटाक घी में डालकर आंच पर पकाएं| जब मिर्च जल जाए तब उतारकर ठंडा कर ले| घी को छानकर शीशी में भर लें| इस घी की 2-3 कुनकुनी गरम कर कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है|
खाज खुजली:
मिर्च को तेल में जला कर उसकी मालिश करने से खुजली में लाभ होता है|
मकड़ी चल जाने पर:
शरीर पर मकड़ी चल जाने से त्वचा पर छोटे छोटे दाने हो जाते हैं उनपर मिर्च पीसकर लगाने से लाभ होता है|
जोड़ों का दर्द:
जोड़ों के दर्द में मिर्च को तेल में जला कर उसकी मालिश करने से दर्द दूर होता है|
चर्म रोग:
लाल मिर्च को सरसों के तेल में पकाकर छानकर शीशी में भर ले| इसे फोड़े फुंसी तथा अन्य त्वचा रोगों में लगाने से लाभ होता है|
आधासीसी:
लाल मिर्च से तैयार घी से माथे पर मालिश करने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है|