हरी दूब घास के गुण हिंदी में

हरी दूब घास के गुण

हरी दूब घास
हरी दूब घास

हरी दूब घास जमीन में स उगने वाली साधारण घास है |हरी दूब घास की ही एक प्रजाति है | दूब में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में रहते हैं | दुब का सबसे बड़ा गुण इसकी शितलता है | जहां यह जानवरों को जीवन देती है वही दूसरी और मनुष्य के लिए भी लाभकारी है |

हरी दूब घास के घरेलू उपाय :

मुंह के छाले :

दूध के काढ़े से दिन दो-तीन बार कुल्ला करने से छाले मिट जाते हैं |

उल्टी :

दूध के रस में मिश्री मिलाकर लेने से उल्टियों में आराम मिलता है |

बवासीर :

दूब को पीसकर दही के साथ सेवन करने से बवासीर लाभ होता है |

रक्तस्राव :

चोट लगने या घाव पर दूब को पीसकर पट्टी बांधने से खून बहाना रूक जाता है |

बहरापन :

कान से पानी बहने या मवाद निकलने से बहरापन होने पर दूब का में डालने से शीघ्र लाभ होता है |

चर्म रोग :

तिल के तेल में समभाग हरी दूब का रस मिलाकर औटाए | जब केवल तेल शेष रह जाए , तब ठंडा करके शीशी में भर ले | इस तेल की मालिश करने से सभी प्रकार के चर्म रोगों में लाभ होता है | हरी दूब की जड़ का क्वाथ पिलाने से भी चर्म में लाभ होता है |

चेचक :

हरी दूब पीसकर लेप लगाने से चेचक ठीक होती है |

सुजाक :

दूब , सफेद चंदन 6-6 ग्राम में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से एक सप्ताह में सुजाह रोग में लाभ होता है |

नेत्ररोग :

हरी दूब के रस से आँखों पर लेप लगाने से आँखों की जलन तथा आँख दुखना ठीक होता है |

मिर्गी :

उन्माद , मिर्गी जैसे रोगों में हरी दूब का ताजा रस लाभकारी रहता है |

मूत्र में खून :

मूत्र में खून आने या अत्यधिक मासिक स्त्राव में दूब का ताजा रस लाभदायक रहता है |

प्यास :

हरी दूब का रस पीने से बार-बार लगने वाली प्यास शांत होती है तथा मूत्र खुलकर आता है |

पथरी का इलाज ;

३० ग्राम हरी दूब को पीसकर उसमे मिश्री मिलाकर दिन में दो बार पीने से पथरी में लाभ होता है |

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