गूलर के फायदे हिंदी में जानकारी

गूलर के वृक्ष सारे भारत में पाए जाते है | इसके वृक्ष ५०-६० फीट ऊँचे होते है | गूलर के वृक्ष से निकलने वाला दूध गुणकारी होता है | इसके पत्ते , फल , बीज , छाल और जड़ अलग-अलग गुण और उपयोग वाले होते है | यह कफ और पित्त का नाश करके , रक्तविकार को दूर करता है | जिन रोगों में शरीर के किसी अंग रक्त बनता है | और सूजन होती है , उन लोगो को गूलर है उत्तम औषधि है |
गूलर के फायदे घरेलू उपाय :
घाव :
इसके छाल को उबालकर इस पानी से घाव धोने से घाव जल्दी भर जाती है |
मधुमेह :
१ चम्मच इसके फलचूर्ण एक कप पानी के साथ सुबह-शाम लेने से मधुमेह में मूत्र में शक्कर आना बंद हो जाता है |
श्वेत प्रदर :
गूलर का रस पिलाने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है |
सुजाक :
गूलर की जड़ का रस देने से जड़ मूत्रनलिका की सुजन कम हो जाती है |
रक्त वमन :
कमलगट्टे और गूलर का फूल का चूर्ण दूध के साथ लेने से रक्त वमन बंद हो जाता है |
नकसीर :
गुलर की छाल पानी में पीसकर तालू पर लगाने से नकसीर बंद होती है |
पित्त ज्वर :
गूलर के जड़ के चूर्ण में शक्कर मिलाकर पीने से पित्त ज्वर में लाभ होता है |
रक्तपित्त :
पके हुए गूलरो को खाली पेड़ गुड या शहद के साथ खाने से लाभ होता है |
चेचक की गर्मी :
गूलर का रस में मिश्री मिलाकर २ चम्मच दिन में 3 बार पिलाने से २-3 दिन में ही चेचक के बाद के शरीर की गर्मी शांत होती है |
फोड़े-फुंसी :
सूजन तथा फोड़े-फुंसी पर इसका दूध लगाने से लाभ होता है |
सुखा रोग :
गूलर का दूध की १० बूंद माँ के दूध में या गाय , भैंस के दूध में १-२ महीने देने से बच्चा हष्ट-पुष्ट और सुडौल हो जाता है |
गर्भस्राव :
गूलर की जड़ को कूटकर उसका काढा पिलाने से गर्भस्राव होना रुक जाता है |