आयुर्वेद दवाई में गिलोय के औषधीय गुण है और ये गुणकारी जड़ी बूटी की तरह है | गिलोय का बेल आसपास के पेड़ो पर फैलते है | गिलोय का स्वाद कडवा होता है | अगर कोई गिलोय का बेल नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई है तो वो गिलोय के औषधीय गुण काफी है और ये ज्यादा गुणकारी असरदार होती है | इसके पत्ते पान के पत्तो की तरह ही होते है |
गिलोय के कई फायदे हैं, जैसे रक्त शोधक के रूप में इसका उपयोग होता है। और ज्वार के लिए गिलोय एक रामबाण औषधि उपाय है। गिलोय को मराठी में गुळवेल कहते हैं।
गिलोय का उपयोग कैसे करे ? Tinospora cordifolia Use in Hindi :

इसके कई सरे आयुर्वेदिक दवाई की तरह घरेलु इलाज है |
गिलोय को सेवन करने का एक बढ़िया तरीका है उसके तने को चबा कर खाना। गिलोय को चबा के खाना अस्थमा रोगियों को बहोत फायदेमंद होता है। अस्थमा के लक्षण दूर करने के साथ ही गिलोय को चबा के खाने से खांसी, गले में खराश ऐसी परेशानी में भी आराम मिलता है।
- रक्तशोधक :
हरी गिलोय और उन्माब १-१ तोला , ३ छठाक पानी में अछि तरह से घोटकर साफ़ करके शरबत बनानी है | रक्त विकार ,फोड़े-फूसी के लिए आपको इस शरबत का सेवन करना है | आपको ये शरबत सिर्फ सुबह ही पीना है | इसके पिने से आपके चरम रोग का भी इलाज हो जायेगा | - हिचकी को रोकने के लिए :
आपकी हिचकी को तुरंत रोकने के लिए गिलोय और सोंठ एक मात्रा में लेकर इसको अच्छी तरह कूटकर इसका नस्य ले | ये हिचकी रोकने के लिए अच्छा तरीका है | - पित्त ज्वर के लिए :
शक्कर और सत्व गिलोय एक समान मात्रा में लेकर १ से ३ माशा हर रोज पानी के साथ सेवन करे ऐसा करने से आपके पित्त ज्वर में आराम मिलता है | - मलेरिया का घरेलु इलाज के लिए :
एक माशा (तौल का बारहवाँ भाग) देसी अजवायन ४ काली मिर्च ,एक छठाक पानी ,१ तोला ताजा गिलोय इन सभी चीजों को मिक्स करके रोज सुबह पिने से कुछ ही दिन में आपको लाभ मिलता है | - खांसी के लिए सही टोटका है |
१ तोला हरी गिलोय ,१२५ मिली | पानी में मिक्स करके छान ले | खांसी के लिए इसमें दो तोला शहद मिलाकर सुबह सेवन करने से आपकी खांसी को आराम मिलता है | - पेट के कीड़े के लिए:
अगर आपके पेट में कीड़े हो गए है ऐसा आपको लग रहा है, तो आप गिलोय का रस बनाकर इसको पिने से आपकी पेट के कीड़े की समस्या चली जाएगी | - पुराने बुखार का इलाज :
अगर आपको पुराणी बुखार की बीमारी है तो आप ६ ग्राम देसी अजवायन और १ तोला हरी गिलोय दोनों को मिलाकर एक मिटटी के बर्तन में में भिगोकर सुबह इसको घोटकर अच्छी तरह से छान ले | अब इसको शक्कर में मिलाने से और इसका सेवन करने से आपको एक हप्ते में ही फायदा होता है | और आपकी पुराणी बुखार की बीमारी ख़तम हो जाएगी | - सुखा रोग के लिए आयुर्वेदिक जडीबुटी :
हरी गिलोय को लेकर उसके रस में कपडा भिगोकर वही कपडा बार बार पहना कर सूखा रोग का इलाज हो जायेगा |
गिलोय घनवटी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Giloy Ghan Vati
गिलोय घनवटी का उपयोग डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया के लिए किया जाता है | इसका उपयोग ताज़ा गिलोय काढ़ा बनाने के लिए भी कर सकते हो | इसका सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है और ये बार-बार होने वाले इन्फेक्शन में फायदेमंद पतंजलि गिलोय घन वटी को लेना सरल है।
- गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं।
- इसमें गिलोय के पाउडर के गुण है|
- गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता हैं।
- आपकीइम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती है।
- गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं।
- इसका उपयोग से यकृत की रक्षा होती है।
- गिलोय में कई सरे औषधि गुण होते है।
- गिलोय डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों से आराम दिलाती है।
- इसके इस्तमाल से रक्त का शुगर लेवल कम होता है|
- गिलोय बुखार, पीलिया, गठिया जैसे बिमारिओं से आराम दिलाती है।
- बैक्टीरिया / वायरस / इन्फेक्शन में बहुत प्रभावशाली है|