दिमागी बुखार उपचार

मस्तिष्क ज्वर एक जानलेवा रोग है, जिसका कारण ग्रुप बी अरबो वायरस होता है| यह रोग मच्छरो के काटने से फैलता है|
इसको उत्पन्न करने वाला विषाणु मुख्यतः जानवरों में पाया जाता है|
मच्छर जब इन जानवरों का खून चूसने के लिए इन्हें काटते है तो यह वायरस मच्छरों के जरिये पेट में पहुच जाता है और वहां फले फूलते है|
ये मच्छर जब मनुष्य को काटते है तो ये वायरस मनुष्य के शरीर में पहुच जाते है और रोग उत्पन्न करते है|
दिमागी बुखार के लक्षण :
मस्तिष्क ज्वर के रोगी को काफी तेज बुखार अता है, ऐसे में बहुत ठंड भी लगती है| साथ ही उसे सीर दर्द और गर्दन में दर्द होता है|
जिन रोगियों में मस्तिष्क और उसकी झिल्ली भी संक्रमित हो जाती है| उन्हें मिर्गी जैसा दौरा पड सकता है|
समय समय पर बीमारी के बढ़ने के साथ-साथ रोगी की हालत बिगड़ जाती है और वह अचेतन अवस्था में चला जाता है,
अंत में रोगी की मृत्यु हो जाती है| बड़ो की अपेक्षा बच्चे इस रोग के जादा शिकार होते है|
दिमागी बुखार से बचाव :
इस रोग से बचाव ही इस रोग का इलाज है| इस रोग से बचने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है की मच्छरो का नियंत्रण करना |
मच्छरदानी का प्रयोग करे| इस रोग से बचने के लिए रोग रक्षक टिके भी लगाये जाते है|
टिके सात से चौदा दिन के अंतर पर लगाए जाते है|तिन साल के बाद इन तिको को दुबारा लगाया जाता है|
जिन लोगो को यह रोग होने की संभावना होती है इन्हें यह टिके लगाये जाते है|
रोग का पता लगते ही योग्य चिकित्सक से इलाज कराए| यह एक संक्रामक रोग है| परुंतु इसपर नियंत्रण पाया जा सकता है|
गिलोय, अदरक, इलायची,लौंग तथा तुलसी का काढ़ा बनाकर नित्य सुबह सेवन करे तो इस बुखार से बचा जा सकता है| यह रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाता है|
वायरल फीवर बुखार का उपचार लक्षण.