चना के औषधीय गुण

चना बहुत उपयोगी वह गुणकारी दाल है| चना दो प्रकार का होता है – काला चना वह काबुली चना| चने मधुर, ठंडे रूखे, स्वास्थ्यवर्धक, रूचिकारक बलकारक तथा वीर्यशोधक होते हैं | चने का प्रयोग भुनकर ,अंकुरित कर व ताजा हरे चने के रूप में किया जाता है| चने शरीर में कोलेस्ट्रॉल को जमने नहीं देते हैं| काले चने कमर तथा फेफड़ों को बल देता है|
अंकुरित चनो में विटामिन ‘सी ‘ भरपूर मात्रा में पाया जाता है| अंकुरित चने पौष्टिक, रक्त बढ़ाने वाले तथा फेफड़ों को मजबूत बनाने वाले होते हैं | इनका प्रयोग साग -सब्जी बनाने में किया जाता है| काले चने भूनकर या अंकुरित कर खाए जाते है|
चना के घरेलू उपाय :
मधुमेह :
चने के आटे की रोटी 10 दिन तक खाने से मधुमेह में लाभ होता है|
जलोदर :
चने की दाल खाने से जलोदर का पानी सूख जाता है|
ह्रदय रोग :
ह्रदय रोगियों के लिए काले चने का सेवन लाभकारी रहता है|
रक्त विकार :
बिना नमक के चने के आटे की रोटी खाने से रक्त विकार दूर होते हैं|
उल्टी :
गर्भवती स्त्री को उल्टी आती है आती हो तो रात में चने भिगोकर सुबह उसका पानी पिलाने से लाभ होता है|
त्वचा निखार :
चने के आटे में दूध मिलाकर उसका उबटन करने से रंग निखरता है, त्वचा को त्वचा कोमल बनती है|
गर्भपात :
बार -बार गर्भपात हो तो काले चनों का काढ़ा कुछ दिनों तक पिए|
कुष्टरोग :
अंकुरित चने कई वर्षो तक खाते रहने से कुष्टरोग ठीक हो जाता है|
चेहरे पर रोम :
बेसन में साथ समभाग सरसों पीसकर हररोज चेहरे पर मलने से स्त्रियों के चेहरे के रोम साफ़ हो जाते है|
शीघ्रपतन :
भुने हुए चने के आटे में चीनी मिलाकर खाने से शीघ्रपतन में लाभ होता है|
जुकाम :
गरम चने कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है|
मूत्र में शक्कर :
25 ग्राम चने रात को दूध में भिगोकर सुबह खाने से मूत्र में शक्कर आना बंद हो जाता है|
पीलिया :
चने की दाल रात को पानी में भिगोकर सुबह उस दाल में गुड मिलाकर 2-3 दिन खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है|
प्यास :
चने की दाल को पानी में भिगोकर खाने से प्यास की अधिकता मिटती है|
रुसी :
बेसन का पतला घोल बालो में मलकर थोड़ी देर बाद सिर धोने से बालो की रुसी दूर हो जाती है|