कैंसर क्या है ?

कैंसर का अर्थ है बिना उद्देश्य के आकारहीन गांठ की वृद्धी जिसके बढ़ोतरी को रोका न जा सके। शरीर में कहा भी कोई गाठ होकर तेजी से बढ़ती रहे एक जगह से काट देने पर दूसरी जगह पुनः बन जाए तो उसे कैंसर केहते है। इसमें शरीर का क्षय हो जाता है।
गांठ बढ़ती जाती है। गलकर फूट जाती है। आरंभ में इसका पता नहीं चलता किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता और जब रोग का पता लगता है तो रोगी इस अवस्था में पहुंच जाता है कि फिर रोगी के प्राणों को बचाना कठिण हो जाता है।
इस प्राण घातक बीमारी से रोगी रोग का नाम जानकर ही मृत्यु से भयभीत हो जाता है। यदि कैंसर होने का पता आरंभ में ही लग जाए तो रोगी को बचाया जा सकता है। नीचे दिए गए पूर्व संकेतों में से कैंसर को प्रारंभ में ही पहचाना जा सकता है।
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कोई भी घाव, जो शीघ्र ना भरे विशेष मूह में, त्वचा में घाव जो 6 सप्ताह बीतने पर भी नहीं भरे और घाव बढ़ता जाए।
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लगातार अस्वाभाविक रक्तस्त्राव विशेषकर औरतों में मासिक धर्म रुकने के बाद, मल त्यागते समय कभी-कभी रत्त आता है जबकि बवासीर नहीं हो।
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शरीर के किसी भी अंग में मांस-रुद्ध या अर्बुद, गांठ, मोटापा विशेषकर औरतों में।
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भोजन निगलने में कठिनाई एवं लगातार अपच।
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आंतों की स्वाभाविक प्रक्रिया में अंतर बराबर कब्ज या दस्त होना।
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किसी भी तिल मस्से केलोइड गिल्टियों के रंग में अंतर आना तथा दर्द होना।
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अकारण वजन तथा शक्ति का ह्रास तथा भोजन से अरुचि।
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लगातार खांसी तथा स्वरभंग, आवाज में भारीपन या गला बैठना।
ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण कि मिलने पर कैंसर का संदेह होकर चिकित्सक में परमार्श ले।