बरगत का पेड़ के फायदे हिंदी में

बरगत का वृक्ष सभी जगह पाए जाता है | इस पेड़ को इंग्लिश में banyan Tree भी कहते है और मराठी में वड कहते है , इसके benefits कई सारे है | उसकी टहनियों से रेशे निकलकर जमीन तक पहुंचकर जमीन में घुस जाता है और मोटे होकर नए पेड़ का रूप धारण करता है |
इन रेशों को ‘ बरगत की जटाए ‘ भी कहते है | इस प्रकार के पेड़ चारों तरफ जटाए लटककर नए वृक्ष के रूप में बढती जाती है और इसका परिवार भी बढ़ता जाता है | इसका दूध सूर्योदय से पूर्व पत्ते तोड़कर ज्यादा मात्रा में प्राप्त किया जा सकता है |
बरगत का पेड़ के घरेलू नुख्से :
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वमन :
इस पेड़ की जटा लगाकर उसकी राख को पानी में भिगोकर , निधारकर पानी पिलाने से वमन रुख जाता है |
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बिवाइया :
पैर की फटी एडियो में बरगत का दूध लगाने से बिवाइया मिट जाती है |
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भंगदर :
बरगत के दूध में रुई का फाहा भिगोकर भंगदर पर रखकर बाँध दे | कुछ ही दिनों के प्रयोग से भंगदर नष्ट है |
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मूत्ररोग :
बरगत के पत्तो का काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र की रुकावट जलन , खून आना आदि मूत्र रोग दूर होता है |
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दस्त :
एक बताशे में एक बूंद बरगद का दूध रख कर खिलाने से छोटे बच्चो का दस्त ठीक हो जाता है |
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कमर दर्द :
पेड़ का दूध कमर पर लेप लगाने से कमर दर्द ठीक हो जाता है |
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मस्से:
मक्खन को पानी से 100 बार धोकर इसके कोमल पत्ते बारीक पीसकर मिलाए | शौच से निवृत्त होकर सुबह शाम इस मरहम को मस्सो पर लगाने पर आराम मिलाता है |
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जलने पर :
इस पेड़ के कोमल पत्ते दही के साथ पीस कर जले हुए अंगो पर लगाने पर आराम मिलाता है|
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मधुमेह :
बरगद की छाल को काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र में शक्कर जाना मधुमेह में बंद हो जाता है |
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फोड़ा :
बरगद मुलायम पत्तो को बांधने से फोड़ा जल्दी पक कर फुट जाता है |
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दंत रोग :
बरगत की शाखा ओ से लटकने वाली जोड़ो से दातुन करने पर दांतों व मसूड़ो के रोगो से मुक्ति मिलती है |
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रक्तस्राव :
बरगद की छाल व कोंपलों को चोट लगे स्थान पर बांधने से खून आना रुक जाता है |