बबूल का पेड़ आयुर्वेद गुण

बबूल का पेड़ रेतीली जमीन में होता है | बबूल को ‘ कीकर ‘ भी कहा जाता है | बबूल की लकड़ी जलाने में अच्छी मानी जाती है |
इसके फूल , पत्ते , छाल , कली , लकड़ी तथा गोंद सभी का प्रयोग दवा के रूप में किया जाता है | यह पौष्टिक रक्तशोधक तथा अन्य रोगों को नष्ट करने में सहायक है |
संस्कृत में | दीर्घकंटका,बबूल, बर्बर |
हिन्दी में | बबूर, कीकर,बबूल, |
बंगाली में | बबूल गाछ |
मराठी में | बाभूळ,माबुल, बबूल |
गुजराती | बाबूल |
तेलगू में | बबूर्रम, नेला, तुम्मा,नक दुम्मा |
पंजाबी में | बाबला |
इंग्लिश में | Thorn trees |
तमिल में | कारुबेल |
बबूल का पेड़ आयुर्वेद गुण :
-
नेत्र रोग :
बबूल के पत्ते पीसकर टिकिया के रूप में आँखों पर रखने से कुछ समय बाद आराम आ जाता है|
-
थूक में खून आना :
बबूल के पत्ते घोटकर सुबह-शाम पीने से थूक में खून का आना बंद हो जाता है|
-
दंत रोग :
बबूल के कोंपले , सफेद जीरा व अनार की कली १ ग्राम लेकर बारीक पीसकर पानी में घोटकर छान ले | इस पानी को दिन २-3 बार पीने से दंत रोग ठीक हो जाता है|
-
ज्यादा पसीना :
बबूल के पत्तियों को बारीक पीसकर शरीर पर मसले| बाद में छोटी हरड़ का पाउडर शरीर पर मसलकर नहा ले | कुछ दिन तक यह प्रयोग करने से ज्यादा पसीना आना बंद हो जाता है|
-
कान में मवाद :
1 तोला बबूल के फल , २ तोला तिल के तेल में पकाए | फूल काले हो जाने पर तेल उताकर छान ले | 2-3 बूंद तेल कान में डाले यह कान के जख्म भरने तथा दर्द मिटाने की अचूक दवा है|
-
सुखी खाँसी :
बबूल का गोंद व शक्कर समभाग लेकर पीस ले | छोटे बेर के समान गोली बनाकर एक गोली चूसने से खाँसी में शीघ्र लाभ होता है|
-
मसूड़े फूलना :
बबूल की छाल जलाकर बारीक पीसकर इसमें नमक व काली मिर्च मिलाए और ऊँगली से मसुडो पर मालिश कर लार टपकाए | सुबह-शाम इस प्रयोग करने से मसुडो का बादिपन छटता है|
-
मूत्र बंद होना :
१ तोला बबूल के पत्ते , १ तोला गोखरू , कलमिशोरा 6 माशा पानी में घोटकर पिलाने से रुका हुआ मूत्र खुलकर होने लगता है|
-
प्रमेह रोग :
बबूल के कच्चे पत्तो का सेवन करने से प्रमेह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है|
for knee pain should the powder be made of the seed only or the complete pod with seed of acacia tree. Please clarify