अतिबला (खिरैटी) के फायदे

इसे खिरैटी या खरेटी भी कहा जाता है | यह वाजीकारक एवं पौष्टिक गुणों के साथ अन्य गुण रखने वाली जड़ी बूटी है | यह चार प्रकार की होती है- बला ,अतिबला , नागबला और महाबला | मुख्यता किस की जड़ और बीज को ही उपयोग में लिया जाता है | शारीरिक दुर्बलता, प्रमेह , शुक्रमेह, रक्तपित्त, प्रदर , वर्ण, सुजाक ह्रदय की दुर्बलता, सिर दर्द आदि रोगों को दूर करता है |
अतिबला के घरेलू उपाय :
गांठ या अनपके फोड़े :
अतिबला के कोमल पत्तों को पीसकर इसकी पुल्टीस बाँधकर ऊपर पानी के छींटे मारते रहे | इस से गांठ या फोड़ा बिना चीरा लगाए पककर फूट जाता है |
दुर्बलता :
आधा चम्मच अतिबला की जड़ का बारीक चूर्ण सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लेने से शरीर का दुबलापन दूर हो जाता है |
खुनी बवासीर :
अतिबला के पंचांग को मोटा कूठकर उसका चूर्ण बना लें | सुबह शाम 10 ग्राम चूर्ण एक गिलास पानी में उबालें | चौथाई पानी रहे हो जाए तब उतारकर छान दें | ठंडा करके पानी को एक कप दूध में मिलाकर पीने से शीघ्र खुनी बवासीर लाभ होता है |
स्वरभेद :
आधा चम्मच गुलाब की जड़ का चूर्ण ,शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से आवाज ठीक हो जाती है |
तृषा:
बला की जड़ का काढ़ा आदर्श 10 ग्राम पीने से तृषा शांत होती है |
शुक्रमेह :
बला की ताजा जड़ 6 ग्राम , एक कप पानी के साथ घोटकर वो छानकर सुबह खाली पेट पीने से लाभ होता है |
श्वेत प्रदर :
बला के बीजों का बारीक चूर्ण ,एक चम्मच सुबह शाम शहद में मिलाकर लेने से तथा ऊपर से मीठा दूध पीने से श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है |
दाह :
अतिबला की छाल का रस निकालकर शरीर पर लेप करने से जलन कम हो जाती है|
बिच्छू दंश :
बला के पत्तों का रस बिच्छू द्वारा काटी गई जगहों पर लगाकर मसलने से दर्द दूर हो जाता है|