अंकोल के गुण

अंकुल का वृक्ष से पूरे भारतवर्ष में जंगलों और नदी , नालों के ढालों में पाया जाता है | इसका फल स्वादिष्ट और गुणकारी होता है | इसके पत्ते कनेर के पत्तों जैसे लंबे होते हैं | इसके फल कच्चे अवस्था में नीले, पके हुए लाल तथा पकने पर जामुनी रंग के होते हैं| इस पर फुल गर्मी में तथा फल वर्षा ऋतु में आते हैं|
इसका उपयोग दमा , बवासीर , अतिसार, प्रेमह, गठिया आदि रोगों की चिकित्सा में किया जाता है| वार्ड को शूल आम वात नाशक होता है इसके बीच शीतल व बोल वीर्यवर्धक मंदिर गिनी करने वाले वास्तु तथास्तु करने वाले तथा इसकी छाल गरम उल्टी कराने वाली वितरण पसीना लाने वाली ज्वर नाशक तथा क्रोनी और विष का नाश करने वाली होती है|
अंकोल का घरेलू उपाय :
बवासीर :
अंकुर की जड़ को सुखाकर पीस ले | इसका एक 1-1 ग्राम चूर्ण और पीसी काली मिर्च पानी के साथ सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है|
फोड़े फुंसी :
अंकोल के फल का रस लगाने से फोड़े फुंसी ठीक हो जाते हैं|
ज्वर :
मौसमी बुखार दूर करने के लिए आधा ग्राम अंकोल की जड़ का चूर्ण पानी के साथ लेने से पसीना आकर बुखार उतर जाता है|
गठिया :
अंकोल की जड़ की छाल पानी में भिगोकर , कूटकर रस निकाले | दर्द कर रहे जोड़ो पर इस रस की मालिश करने से राहत मिलती है|
घाव :
अंकोल के बीजों का चूर्ण तिल के तेल में भिगोकर धूप में सुखाए सूख जाने पर इसी चूर्ण को तेल में भिगोकर धूप में सुखाने यह प्रक्रिया 7 बार करें| बाद में इस चूर्ण को कांसे की थाली में फैला कर एक बड़ी थाली धूप मैं रखकर इस पर चूर्ण वाली थाली को उल्टा रख दे और दिनभर तेज धूप में रखे चूर्ण में से तेल नीचे वाली थाली में एकत्रित होगा | इस तेल को शीशी में भर ले | इस तेल में रुई भिगोकर घाव पर रखकर पट्टी बांधने से रक्तस्राव बंद होकर घाव तेजी से भरता है |
प्रमेह रोग :
अंकोल के सुखे फूल , आंवला व हल्दी 20-20 ग्राम लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना ले |आधा चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से प्रेमह को नष्ट होता है |
दमा :
अंकोल की जड़ को पत्थर पर नीबू के रस के साथ पीसकर आधा चम्मच ले बनाकर सुबह-शाम चाटने से दमा रोग में लाभ होता है |
दाग धब्बे से छुटकारा :
गेहूं के आटे में हल्दी ,अंकोल का तेल और थोड़ा सा पानी डाल कर लेप बना ले | इसे हर रोज चेहरे पर लगाकर मालिश करके चेहरा धो लें | इससे चेहरे के दाग धब्बे मिट जाते हैं |