अमृतधारा के लाभ

साधारण की देखने वाली यह औषधि रोग ग्रस्त के लिए वरदान है | यह औषधि शरीर में पहुंचते ही असर दिखाती है और रोगी का रोग दूर होकर राहत मिलती है |अमृतधारा सच में ही अमृत है | यह अनेकों बिमारियों की अनुभव घरेलू दवा है | इसकी मुख्य विशेषता यह है कि शरीर पर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता | ग्रीष्म ऋतु के रोग जैसे अतिसार, लू लगना, जी मचलाना, उदरशूल, सिरदर्द, कीटनाशक, गैस, शोध मैं इसका प्रयोग करने से शीघ्र राहत मिलती है |
अमृतधारा के मुख्य घटक देशी कपूर ,अजवायन का तत्व तथा पिपरमिंट है | तीनों को संमभाग लेकर एक शीशी में रखकर ढक्कन लगा दे |यह शीघ्र तैयार होने वाली दवा है| इसकी मात्रा वर्ष के लिए तीन -चार बूंद रोगों की तीव्रता के समय 5-7 तथा 1 वर्ष से कम आयु के शिशु के लिए एक बूंद तथा 1 वर्षों से अधिक आयु के बच्चों को 1-2 बूंद दी जा सकती है |
अमृतधारा के घरेलू उपाय :
दंतशूल :
दांत या दाढ़ में दर्द होने पर रुई के फाहे से अमृतधारा लगाएं |
दस्त :
5-7 अमृतधारा एक चम्मच अदरक के रस के साथ सेवन करने से लाभ होता है |
उल्टी :
5-7 अमृतधारा एक चम्मच अनार दाने के रस के साथ सेवन करने से उल्टी या जी मचलना में लाभ होता है |
हैजा :
हैजा तथा वमन की दशा में एक चम्मच प्याज के रस में दो बूंदे अमृतधारा डालकर पीने से लाभ होता है |3 दिन में 3 बार इसका सेवन करें |
सिर दर्द :
दो बूंद से अमृत धारा ललाट पर मलने से सिर दर्द में लाभ होता है |
उदर रोग :
पेट दर्द अपच अफारा मंदकिनी खट्टी डकारे आदि रोगों में तीन -चार बूंद अमृत धारा पानी में डालकर सेवन करने से लाभ होता है |
खुजली :
10 ग्राम नीम के तेल में पांच बूंद अमृत धारा मिलाकर मालिश करने से सभी प्रकार की खुजली मिट जाती है |
बिवाई :
10 ग्राम वैसलीन में दो बूंदे अमृतधारा मिलाकर लगाने से फटे होंट और बिवाईया ठीक हो जाती है |
दुर्बलता :
10 ग्राम गाय का मुख्यन व 5 ग्राम शहद में तीन बूंदे अमृत धारा मिलाकर प्रतिदिन खाने से शरीर की कमजोरी दूर होती है |
हिचकी :
एक -दो बूंद अमृत धारा जीभ पर रखकर अंदर की तरफ सूंघने से कुछ ही देर में हिचकी हो जाती है |
जोड़ों का दर्द :
जोड़ों का दर्द गठिया तथा कमर दर्द में अमृतधारा का 10 गुना तिल का तेल में मिलाकर मालिश करें |
छाले :
थोड़े से पानी में एक -दो बूंद अमृत धारा डालकर छालों पर लगाने से लाभ मिलता है |