आलूबुखारा (Aloo bukhara)

आलू बुखारा को इंग्लिश में Plum नाम से कहते है और मराठी में आलूबुखार ऐसे भी बोलते है. आलू बुखारा के तरह का फल है इसको जब कच्छा खाया जाता है तो इसका स्वाद खट्टा होता है.
पकने के बाद आलू बुखारा का स्वाद मीठा हो जाता है. आलू बुखार का साइज़ बिलकुल एक छोटे आलू की तरह होता है. आलू बुखारा शरीर को मजबूत शक्ति प्रदान करता है.
अंजीर,मुनक्का(मनुक्का),खुबानी की तरह ही आलू बुखारा का सूखे रूप में भी इस्तमाल किया जाता है.आलू बुखारा सुखा मेवा और फल इन दोनों के रूप में मिलता है. आलू बुखारा के फायदे जानकार आप चौक जाओगे की इतना छोटा सा फल के इतने सारे गुण है.
आलूबुखारा के गुण :
- आलूबुखारा पेट के रोगों में रामबाण इलाज है.
- आंतो को बल देने में आलूबुखारा एक आयुर्वेदिक जडीबुटी की तरह काम करता है.
- आलू बुखारा खाने के फायदे में कब्ज को दूर करने के लिए सबसे बढ़िया इस्तमाल है.
- आलू बुखारा पीलिया बवासीर के रोगियों के लिए एक उपयोगी फल है.
- पित्त का प्रकोप दूर करता है.
- प्यास को शांत करने के लिए आलूबुखारा का इस्तमाल होता है.
- वायुविकारो को ठीक करने के लिए.
- बीमारी के बाद शरीर में शक्ति बनाये रखने के लिए.
आलूबुखारा के फायदे :
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भूक को बढाने के लिए:
आलूबुखारा खाने से भूक वृद्धि होने में मदत होती है. आलूबुखारा का रस भोजन (खाने) को पचाने में सहायक होता है. आलूबुखार एक रुचिकारक फल है.
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पेट के रोगों का इलाज:
इसका इस्तमाल पेट के संबंधी रोगों में लाभ दायक है. पेट(उदर) के रोग जिनमे पानी कम हो जाने का खतरा हो उनमे इसका उपयोग फायदे मंद है.
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जी मचलने का उपाय:
अगर आपको बुखार है और आपका मन बार बार उलटी करने का हो रहा है या आपका जी मचल रहा है तो आपको ताजा या सुखा आलूबुखारा खाने से आराम मिलेगा.
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कब्ज का घरेलु नुस्खा:
आलू बुखारा,अंजीर और मुनक्का को अछि तरह से धोकर एक कांच का बरतन लेकर इसमें भिगोकर रखना है और सुबह चबाकर खाने के बाद पानी पिने से आपकी कब्ज की समस्या/शिकायत दूर होती है. आलू बुखारा,अंजीर और मुनक्का का रस का नियमित सेवन करने से आपके शरीर में आंतडीओ आंतो को बल मिलता है.
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बवासीर में आयुर्वेदिक तरीका:
सुखा आलूबुखारा ताजा आलू बुखारा खाने से किसी भी प्रकार के खाने से आपको बवासीर में आराम मिलता है.
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बार बार प्यास लगने का इलाज:
बुखार के समय पर अगर आपको अधिक प्यास लग रही है तो आलू बुखारा चूसने से प्यास शांत होकर आपको आराम मिलता है. पानी में भिगोकर खाने से और पीने से जलन शांत होती है.
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पित्तप्रकोप का उपाय:
आलूबुखारे के सेवन से पित्त का प्रकोप दूर होता है.