आक के गुण हिंदी में जानकारी

आक सर्वत्र उपलब्ध होने वाली जंगली और विषैला पौधा है | इसकी 2 प्रजातियां पाई जाती हैं लाल व सफेद | लाल किस्म की प्रजाती नी से मिल जाती है परंतु सफेद कम ही मिलता है| आक का पत्ता तोड़ने पर दूध बहाने लगता है |
यह एक विषैला पौधा है| यदि कोई व्यक्ति उसका अत्यधिक मात्रा में सेवन कर ले तो उसके शरीर में विष फैल जाता है, जिससे उसकी मृत्यु तक हो सकती है|
आक के घरेलू उपाय :
खांसी :
जड़ को दूध में भरकर सुखा ले | इसकी धूनी लेने से श्वास और खांसी में लाभ होता है |
लकवा:
आप के पत्तों पर तील या सरसो का तेल लगाकर गर्म करके प्रभावित अंगों पर दो-तीन बार लगाने से लाभ होता है |
दाद :
आक का दूध लगाने से दाद ठीक हो जाता है | यदि एक बार लगाने से लाभ ना हो तो कुछ ही दिन बाद एक बार फिर लगाए|
मिर्गी :
आक की छाल को बकरी के दूध में घोट कर मिर्गी के रोगी की नाक में दो बूंद डालने से उसे तुरंत होश आ जाता है|
कान का दर्द :
पत्तों को गर्म करके सेंक करने से कान का दर्द दूर हो जाता है|
हैजा :
आक की जड़ का छिलका तथा काली मिर्च समभाग लेकर पीस ले | अदरक के रस में इस चूर्ण को दो-तीन घंटे खरल करके चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें | एक-एक गोली 2 घंटे के अंदर से खिलाने पर हैजा के रोगी को लाभ होता है|
कीट दंश :
विषैले जीव जंतुओं के काटने पर दंश वाली जगहों पर आक का दूध लगाने से विष का असर खत्म हो जाता है|
एडी का दर्द :
इसके फूलों को उबालकर एडी पर बांधने से दर्द मिट जाता है|
पसली का दर्द :
इसकी जड़ को गौमूत्र में बारीक पीसकर कुनकुना गरम करके पसली पर लेप करने से पसली का दर्द दूर होता है|
ज्वर :
10 ग्राम जड़ , ६० ग्राम शक्कर या खांड मिलाकर रख ले | ज्वर आने के २ घंटे पूर्व २ चुटकी चूर्ण गरम पानी से ज्वर उतर जाता है|
घाव :
इसके पत्तों को सुखकर बारीक पीसकर घाव पर बूरकने से घाव शीघ्र भरने लगता है|